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कांग्रेस आलाकमान और अशोक गहलोत के बीच सब ठीक? अडानी मामले से राहुल गांधी असहज | ऑनलाइन बुलेटिन

उदयपुर | [राजस्थान बुलेटिन] | जयपुर में आयोजित इन्वेस्टर समिट के दौरान अडानी के करीब बैठे गहलोत की भाव-भंगिमा बता रही थी, मानो वो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को कोई संदेश देना चाहते हैं। यह बात तो जगजाहिर है कि गौतम अडानी लंबे समय से कांग्रेस नेता राहुल गांधी के निशाने पर हैं। उधर जयपुर में गहलोत ने अडानी से गलबहियां कीं और इधर भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कर्नाटक के तुरुवेकर में राहुल को कुछ असहज करने वाले सवालों का सामना करना पड़ गया।

 

क्या अशोक गहलोत और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के बीच सब कुछ ठीक है? यह सवाल शुक्रवार को एक बार फिर उठा, जब राजस्थान के मुख्यमंत्री ने भरे मंच से उद्योगपति गौतम अडानी की तारीफ कर डाली।

 

हर मौके पर दिखा रहे आंख

 

बीते कुछ दिनों में यह पहली बार नहीं था जब गहलोत ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को आंख दिखाने का मौका छोड़ा हो। गौरतलब है कि इस सिलसिले की शुरुआत हुई थी जयपुर में विधायक दल की मीटिंग से पहले गहलोत गुट की बगावत के साथ। फिर 29 सितंबर को दिल्ली में सोनिया-गहलोत की मीटिंग हुई थी।

 

इस मीटिंग से बाहर आने के बाद गहलोत ने खुद के कांग्रेस अध्यक्ष की रेस से बाहर होने का ऐलान किया था। गहलोत ने यह भी कहा था कि उन्होंने सोनिया से माफी मांग ली है और अब वही तय करेंगी कि राजस्थान का नया मुख्मयंत्री कौन होगा?

 

वहीं कांग्रेस की तरफ से कहा गया था कि एक-दो दिन में राजस्थान के नए सीएम पर फैसला हो जाएगा। हालांकि देखते-देखते 10 दिन बीत चुके हैं और इस दौरान गहलोत अपनी जादूगरी दिखाने से बाज नहीं आ रहे हैं।

 

गहलोत के बागी तेवर बरकरार?

 

गहलोत के मन में बागी तेवर बरकरार हैं और इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन्होंने पार्टी के आदेशों की अनदेखी भी की है। 2 अक्टूबर को पार्टी ने निर्देश जारी किया कि राजस्थान के मामले को लेकर किसी कांग्रेस नेता की तरफ से कोई भी पब्लिक बयान जारी नहीं किया जाएगा। लेकिन गहलोत ने सचिन पायलट से लेकर अजय माकन तक पर इशारों में हमले किए।

 

सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने अपने वफादारों को बचाने की भी कोशिश की। उन्होंने एक पत्रकार से बातचीत में कहा कि विधायक क्यों भड़क गए, इस पर पार्टी के सभी नेताओं को सोचना चाहिए। सिर्फ इतना ही नहीं, 3 अक्टूबर को एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने राजनीति में गुणा-भाग की बातें कहीं। साथ ही गहलोत ने यह भी कहा कि राजनीति में जो होता है, वह दिखता नहीं।

 

क्या राहुल को है खुला संदेश

 

वहीं 7 अक्टूबर को इन्वेस्टमेंट समिट के दौरान गहलोत ने अडानी को दुनिया का दूसरा सबसे अमीर शख्स बनने पर बधाई दी और गौतम भाई कहकर संबोधित किया। इसको लेकर भाजपा ने गहलोत पर हमला किया किया कि क्या यह गांधी फैमिली के खिलाफ एक और बगावत का संकेत है? क्या यह राहुल गांधी को खुला संदेश है?

 

इस पर गहलोत ने यह कहते हुए मामला संभालने की कोशिश की चाहे अडानी हों, अंबानी हों या अमित शाह के बेटे जय शाह। इंडस्ट्री से आने वाले सभी लोगों का राजस्थान में स्वागत होगा। वहीं राहुल गांधी से भी जब अडानी को राजस्थान में खास तवज्जो देने को लेकर सवाल किया गया तो वह भी बचाव की मुद्रा में दिखे। उन्होंने कहा कि अडानी को कोई नियमों का उल्लंघन करके फेवर नहीं दिया जा रहा है। वह राजस्थान में 60 हजार करोड़ का इन्वेंस्टमेंट लेकर आ रहे हैं और कोई भी मुख्यमंत्री इससे इंकार नहीं करेगा।

 

गहलोत का चेहरा चमकाने की कोशिश

 

इन सबसे इतर भी अशोक गहलोत राजस्थान से लगातार दिल्ली को खास संदेश भेजने की कवायद में जुटे हैं। इन्वेस्टमेंट समिट के बहाने जयपुर में लगे बिलबोर्ड्स, सड़कों के किनारे पोस्टरों और अखबारों में सिर्फ अशोक गहलोत का ही चेहरा चमक रहा है।

 

गहलोत के प्रतिद्वंद्वियों का कहना है कि 25 सितंबर को समर्थक विधायकों की बगावत के बाद से पैदा हुए हालात को संभालने के लिए वह पूरी कोशिश कर रहे हैं। वहीं कुछ अन्य इसे गहलोत की आखिरी कोशिश के तौर पर देख रहे हैं। इन सारे हालात के बीच भाजपा और सचिन पायलट का खेमा वेट एंड वॉच की सिचुएशन में है।

 

पायलट के सामने ‘अच्छा-बच्चा’ बनने की मजबूरी

 

बता दें कि गहलोत कैंप के विधायकों ने उनकी सीएम की कुर्सी बचाने के लिए जो इस्तीफा सौंपा था, वह आज भी स्पीकर सीपी जोशी के पास मौजूद है। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने यह जानकारी दी। यह बात भी गौर करने वाली है कि सीपी जोशी गहलोत के करीबी माने जाते हैं।

 

वहीं पायलट कैंप के पास ऐसा कोई तुरुप का इक्का नहीं है। उनके पास बस एक ही रास्ता है कि वह अच्छे बच्चों की तरफ हाई कमान के निर्देशों का इंतजार करते रहें।

 

सूत्रों का कहना है राजस्थान में ऐसे हालात 17 अक्टूबर तक बने रह सकते हैं। इस दिन कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव खत्म होने के बाद ही पार्टी हाईकमान राजस्थान के सीएम को लेकर कोई डिसीजन लेगा।

 

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