.

सत्ता की अकड़ | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©रामचन्द्र प्रसाद त्यागी

परिचय- अध्यक्ष, दलित साहित्य एंव संस्कृति मंच गोरखपुर, यूपी 


 

हवाएं भी

अब निष्पक्ष नहीं रहीं

सत्ता का स्वाद

इन्हें भी भा गया है।

सत्ता में अकड़ का होना

न्यायोचित नहीं है ।

अकड़ सदैव

टूटा ही है-

मगरुर दरख्तों

की भांति।

नाजुक डालिया ही

अन्धड़ो में भी

साधिकार

खड़े रहें हैं।

सत्ता के रूप भी

अनेक हैं।

जब सत्ता

व्यक्ति-विशेष की

रखैल की

भूमिका में होती है-

विगड़ैल होती है

बद-जुबान होती हैं

निरंकुश और

तानाशाह होती है।

ताले होते हैं

स्वतन्त्रता की अभिव्यक्ति पर।

जनता-मीडिया

और यहाँ तक कि

सत्य के भी

मुख सिल जाते हैं।

सत्य कथन की साहस का

उप हार

सत्य की हत्या

या जेल की सलाखें होती हैं।

 

ये भी पढ़ें:

ओमप्रकाश वाल्मीकि: हिंदी साहित्य में एक ज्वालमुखी | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

 

कद्दू के बीजों से सेहत को मिलते हैं 5 फायदे, कई बड़ी बीमारियों को दे सकते हैं मात | Pumpkin Seeds Health Benefits
READ

Related Articles

Back to top button