बरस रे बादर………!

🔊 Listen to this ©अशोक कुमार यादव (शिक्षक) परिचय- मुंगेली, छत्तीसगढ़. आसाढ़ म अब करिया बादर ह छागे। संगवारी खेती-किसानी के दिन आगे।। मुड़ी उठाके घुरवा के खातू झांकत हे। बईलागाड़ी ह खलखला के हांसत हे।। टेटका के लाली देंह हा भूरवा होगे। मछरी, कोतरी मन नूनबोरवा होगे।। लेवा के मेचका जपत हे कंठी माला। … Continue reading बरस रे बादर………!