बन्धन…
©पद्म मुख पंडा
परिचय- रायगढ़, छत्तीसगढ़
(गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर)
बन्धन शब्द ,श्रवण करते ही,
उर में,कष्ट उपजता है।
अकुलाहट सी होती प्रतीति,
मन दासत्व समझता है!
मानव जीवन, है दुर्लभ,
हर क्षण का अपना मूल्य है,
है स्वतंत्रता, सब प्राणी को,
बन्धन, विष के तुल्य है!
एक बन्धन ऐसा भी है,
जिसमें ममता का वास है,
माता पिता और संतति का,
बन्धन प्रिय है, खास है!
बन्धन में रहकर भी मानव,
तब प्रसन्न हो जाता है,
जब उसको, निजत्व भाव से,
कोई प्रेम जताता है!
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