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स्तनपान कराने से कम होता है कैंसर का खतरा, एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में होता है कैंसर

भोपाल
देश में कैंसर की बीमारी तेजी से पैर पसाद रही है. कैंसर को मौत के लिए जिम्मेदार दूसरी सबसे घातक बीमारी माना जा रहा है. आज की जीवनशैली, फास्टफूड और स्मोकिंग तथा तंबाकू का सेवन कैंसर के लिए प्रमुख कारण बन रहे हैं. महिलाओं में स्तन और बच्चेदानी के कैंसर के मामले सबसे अधिक सामने आ रहे हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक जो महिलाएं स्तनपान कराती हैं उनमें कैंसर की संभावना कम होती है.   कैंसर कई अंगों को प्रभावित कर सकता है, लेकिन पेट का कैंसर काफी गंभीर और जानलेवा होता है. लेकिन, शुरुआत में इसकी पहचान कर ली जाए तो इसका इलाज किया जा सकता है. विशेषज्ञों के मुताबिक देश में कैंसर 8 फीसदी की दर से बढ रहा है. जिसमें सरकार की मदद के साथ लोगों में जागरूकता भी जरूरी है.एल्कोहल के अत्यधिक सेवन, तंबाकू, मोटापा की समस्या, फास्टफूड खाने की आदत व स्मोकिंग आदि से देश में लिवर व पेट कैंसर की समस्या बढ़ रही है. इस पर लगाम लगाने के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है. यह सम्मेलन गैस्ट्रोकेयर फाउंडेशन द्वारा इंडियन सोसाइटी ऑफ गैस्ट्रोएंटरोलॉजी (एमपी चैप्टर) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है. एंडोस्कोपी से पेट के कैंसर का उपचार संभव: डॉ. संजय कुमार फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ संजय कुमार  ने बताया कि मेडिकल साइंस में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का रोल बढ़ता जा रहा है. इस तकनीक से टेस्ट के दौरान ही बीमारी होने के खतरे का पता लगाया जा सकता है. इससे यह फायदा है कि मरीजों को बीमारी गंभीर होने से पहले ही उनका इलाज हो जाएगा. इन डिवाइस की वजह से मरीजों की निगरानी भी पहले से बेहतर हो गई है. इसी कड़ी में एंडोस्कोपी में भी एआई का प्रयोग बढ़ रहा है.  

शराब और गुटका पर बैन लगना चाहिए : डॉ. एसपी मिश्रा प्रयागराज से आए डॉ. एस पी मिश्रा ने बताया कि कैंसर से लडऩे के लिए सरकार की मदद की जरूरत है. उसे स्क्रीनिंग के लिए पॉलिसी बनानी चाहिए. सरकार को शराब व गुटका बैन कर देना चाहिए क्योंकि कैंसर के लिए ये दोनों काफी हद तक जिम्मेदार हैं. उन्होंने कहा कि एआई के आने से यह फायदा होगा कि जो जांच आखों द्वारा पकड़ में नहीं आ पाती वह एआई पकड़ लेगी. डॉ. मिश्रा के मुताबिक 5 से 10 प्रतिशत कैंसर के मामले जेनेटिक होते हैं यानी कि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में होने की संभावना होती है.   प्रथम स्टेज में कैंसर का उपचार आसान: डॉ. श्याम अग्रवाल राजधानी के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. श्याम अग्रवाल ने कहा कि शरीर के किसी भी अंग में कैंसर की शुरूआती अवस्था यानी फस्र्ट स्टेज में पहचान कर लेने पर उपचार करना आसान होता है.

फस्र्ट स्टेज में कैंसर के ठीक होने की संभावना करीब-करीब शत प्रतिशत होती है. इस अवस्था में कीमोथेरेपी, टारगेटेड और इम्यूनोथेरेपी की आवश्यकता नहीं पड़ती है. वहीं कैंसर की बीमारी आगे बढ़ जाने पर समस्या भी बढ़ जाती है. स्टोन से भी कैंसर का खतरा: डॉ. वीरेन्द्र सिंह चौधरी राजधानी के पेट रोग विशेषज्ञ डॉ. वीरेन्द्र सिंह चौधरी ने कहा कि गालब्लैडर या पेट के किसी भी अंग में स्टोन से कैंसर का खतरा हो सकता है. यहां पर दो सेंटीमीटर से अधिक का स्टोन हो तो शीघ्रता से ऑपरेशन कराना चाहिए. महिलाओं में गाल ब्लैडर की स्टोन से अधिक खतरा रहता है. चौधरी ने कहा कि कैंसर का उपचार करने के लिए आज काफी तकनीकें विकसित हो चुकी हैं जैसे सर्जिकल पैलेटिव मैनेजमेंट, एंडोस्कोपी इत्यादि. अर्ली स्टेज में एंडोस्कोपी से कैंसर का उपचार किया जा सकता है.


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