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इन्सानियत की पुकार | ऑनलाइन बुलेटिन

©गायकवाड विलास

परिचय- लातूर, महाराष्ट्र


 

आओ चलें हम सभी बाल दिवस मनाएं,

ज्ञान के दीप चलो हर आंगन में जलाएं।

नन्हे-मुन्ने बच्चों को देकर सीख नई,

इन्सानियत की नई रीत हम चलायेंगे।

 

संस्कार के मोती उनके मन में पिरोकर,

सर्वधर्म समभाव यही पाठ हम पढ़ायेंगे।

कोई बच्चा न रहे यहां शिक्षा से वंचित,

यही अभियान हम यहां घर-घर में चलायेंगे।

 

सभी बच्चों को बाल मजदूरी से रखकर दूर,

पाठशाला के द्वार तक उन्हें हम ले जायेंगे।

नीतिमय ज्ञान का पाठ पढ़ाकर उन्हीं बच्चों को,

दहकते सूरज की तरह हम यहां बनायेंगे।

 

बदलते युग के साथ-साथ करेंगे हम नया बदलाव,

समता के दीप जलेंगे शहर-शहर, गांव-गांव।

ऊंच-नीच,भेदभाव की सभी दीवारें गिराकर,

मानवता भरें इन्सानों का चमन करेंगे हम साकार।

 

आओ चलें हम सभी बाल दिवस मनाएं,

ज्ञान के दीप चलो हर आंगन में जलाएं।

यही बच्चे कल होंगे आसमान की बुलंदी पर,

और वहां होगी सिर्फ एक ही “इन्सानियत की पुकार”

 

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