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कल से चैत्र नवरात्र प्रारंभ ,रतनगढ़ माता मंदिर में 10 दिन के अंदर दो लाख सैलानियों के पहुंचने का अनुमान

सेवढ़ा
मंगलवार नौ अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरूआत हो रही है। इस दौरान रतनगढ़ माता मंदिर पर लगने वाले विशाल मेले के लिए प्रशासन ने तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। अगस्त 2021 के बाद यह पहला मौका होगा जब श्रद्धालुओं को लंबे फेरे से मुक्ति मिलेगी। पुल के चालू होने के बाद अब प्रशासन ने भगुवापुरा चरोखरा मार्ग से आवागमन सुगम बनाने के लिए सड़क दुरुस्त करवा दी है। एसडीएम अशोक अवस्थी बीते 15 दिन से सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु रतनगढ़ पर ढेरा डाले हुए हैं। मेले में 10 दिन के अंदर दो लाख सैलानियों के पहुंचने का अनुमान है। प्रतिवर्ष नवरात्र के दौरान 300 किलोमीटर के क्षेत्र से लोग माता के जबारे चढ़ाने रतनगढ़ आते है।

2021 की बाढ़ में ढह गया था पुल
बता दें कि अगस्त 2021 में आई बाढ़ के बाद रतनगढ़ माता मंदिर का पुल ढह गया था। इसके बाद से ही मंदिर की ओर जाने वाला मुख्य मार्ग औपचारिक रूप से श्रद्धालुओं की आवाजाही के लिए बंद था। इस बीच पुल के दोनों ओर की एप्रोच रोड, पानी की टंकी, हैडपंप, लाइट आदि व्यवस्थाएं ठप्प हो गई थी। बीते माह नवीन पुल का उद्घाटन होते ही प्रशासन ने इस मार्ग को दोबारा प्रांरभ कर दिया है। तीन वर्ष बाद अब लोग बगैर लंबा चक्कर लगाए सीधे रतनगढ़ माता मंदिर पहुंच सकते है।
 
दर्शनार्थियों के लिए पार्किंग व्यवस्था
मंदिर में आने वाले दर्शनार्थियों के लिए इस बार बसई मलक पर ही पार्किंग रखी गई है। यहां तक दो पहिया एवं छोटे चार पहिया वाहन जा सकेंगे। बसई मलक पार्किंग से मंदिर के नीचे तक की दूरी केवल दो किमी है। हालांकि जब बसई पार्किंग फुल हो जाएगी तो वाहन दूल्हा देव तक रोके जाएंगे और ऐसी स्थिति में लोगों को पांच किमी तक पैदल चलना होगा।

ये होंगी मेले में तैयारियां
मेले में 80 पटवारी के अलावा 400 पुलिस एवं प्रशासन के कर्मचारी ड्यूटी करेंगे। दो स्टीमर के साथ एसडीआरएफ जवानों की तैनाती व बेरीकेट्स लगाए गए हैं। भीड़भाड़ वाले एवं संवेदनशील स्थानों पर वाच टावर एवं सीसीटीव्ही कैमरे लगाए गए हैं। डबल ट्राली को प्रतिबंधित किया गया है। दो फायर ब्रिगेड यहां अलर्ट मोड में रहेंगी। इस बार पुल के नीचे नदी घाट पर स्नान की औपचारिक अनुमति होगी। हालांकि मुख्य मार्ग से दूरी, अधिक गहराई एवं मगरमच्छों के प्रभाव वाले क्षेत्र को छोड़कर ही स्नान की अनुमति प्रदान की जा रही है। इसके लिए भी नदी मे रस्सा और बेरीकेट्स लगाए गए है।


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