किसान मोर्चा के आह्वान पर छत्तीसगढ़ में कई जगहों में चक्काजाम, धरना और प्रदर्शन | newsforum
बिलासपुर | अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर छत्तीसगढ़ किसान सभा और आदिवासी एकता महासभा सहित छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े विभिन्न घटक संगठनों द्वारा 6 फरवरी 2021 रायपुर, कोरबा, राजनांदगांव, बिलासपुर, रायगढ़, कांकेर, दुर्ग, सरगुजा, सूरजपुर व बालोद जिलों सहित पूरे प्रदेश में चक्काजाम, धरना और प्रदर्शन किया गया। यह आंदोलन नए कृषि कानूनों को वापस लेने, सी-2 लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने का कानून बनाने आदि मांगों के खिलाफ आयोजित किया गया था।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष संजय पराते व प्रदेश महासचिव ऋषि गुप्ता ने बताया कि कोरबा जिले के दो ब्लॉकों पाली व कटघोरा में तीन स्थानों पर – हरदी बाजार, कुसमुंडा व मड़वाढोढा में चक्काजाम किया गया। राजधानी रायपुर में तीन जगहों पर आयोजित चक्काजाम में छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने सारागांव में बलौदाबाजार मुख्य राजमार्ग को जाम कर दिया। इस आंदोलन में छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष संजय पराते और छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने भी हिस्सा लिया।
किसान सभा ने मजदूर संगठन सीटू और अन्य ट्रेड यूनियनों ने मिलकर धमतरी-जगदलपुर मार्ग को अवरूद्ध कर दिया। इसी प्रकार सूरजपुर जिले में सीटू, एटक और किसान सभा ने मिलकर बनारस मार्ग को 2 घंटे से ज्यादा रोका, जबकि इसी जिले के ग्रामीणों ने कल्याणपुर में भी दूसरा मोर्चा खोलकर अम्बिकापुर मार्ग की आवाजाही ठप कर दिया। दुर्ग के भिलाई में और बालोद जिले के दल्ली-राजहरा में जगदलपुर-राजनांदगांव मार्ग को सीटू सहित वामपंथी ट्रेड यूनियन के सैकड़ों सदस्यों ने जाम कर दिया। राजनांदगांव जिले के कई ब्लॉकों में, रायगढ़ जिले के सरिया में व बिलासपुर में मजदूरों के साथ मिलकर सैकड़ों नागरिकों ने चक्काजाम आंदोलन में किसानों का साथ दिया। कांकेर जिले के दूरस्थ आदिवासी अंचल पखांजुर भी चक्काजाम से प्रभावित हुआ और कई लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने की खबर है।
चक्काजाम के साथ ही कई जगहों पर सभाएं भी हुई, जिसे किसान नेताओं ने संबोधित किया। रायपुर में सारागांव की सभा को संबोधित करते हुए किसान सभा के नेता संजय पराते ने दिल्ली में धरनारत किसानों और आंदोलन को समर्थन किया। सूरजपुर में आदिवासी एकता महासभा के बालसिंह ने कहा कि सरकार के किसी भी कानून या फैसले के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन करना इस देश के हर नागरिक का अधिकार है, जिसकी पुष्टि सुप्रीम कोर्ट ने भी की है। बिलासपुर में किसान नेता नंद कश्यप ने आरोप लगाया कि इस देशव्यापी आंदोलन को कुचलने के लिए यह सरकार भाड़े के टट्टू, असामाजिक तत्वों और अन्य गिरोह का इस्तेमाल कर रही है। ।
कोरबा में किसान सभा नेता प्रशांत झा ने कहा कि एक ओर तो सरकार 3 कृषि विरोधी कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित करने का प्रस्ताव रख रही है, लेकिन दूसरी ओर अपने बजट प्रस्तावों के जरिए ठीक इन्हीं कानूनों को अमल में ला रही है। इस वर्ष के बजट में वर्ष 2019-20 में कृषि क्षेत्र में किए गए वास्तविक खर्च की तुलना में 8% की और खाद्यान्न सब्सिडी में 41% की कटौती की गई है। इसके कारण किसानों को मंडियों और सरकारी सोसाइटियों की तथा गरीब नागरिकों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली की जो सुरक्षा प्राप्त है, वह कमजोर हो जाएगी।
किसान सभा के नेताओं ने कहा है कि देश का किसान इन कानूनों की वापसी के लिए खंदक की लड़ाई लड़ रहा है, क्योंकि कृषि क्षेत्र का कारपोरेटीकरण देश की समूची अर्थव्यवस्था, नागरिक अधिकारों और उनकी आजीविका को तबाह करने वाला साबित होगा। उन्होंने कहा कि जब तक ये सरकार किसान विरोधी कानूनों को वापस नहीं लेती, किसानों का देशव्यापी आंदोलन जारी रहेगा।