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क्या राज्य सरकार बिना केंद्र की सहमति के पुरानी पेंशन लागू कर सकती हैं, जानें- मुकुन्द उपाध्याय | ऑनलाइन बुलेटिन

रायपुर | [छत्तीसगढ़ बुलेटिन] | डॉ अंबेडर द्वारा लिखित संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत राज्य सूची के विषयों में 42 वें स्थान पर राज्य की पेंशन अर्थात राज्य द्वारा या राज्य की संचित निधि में से संदाय पेंशन का उल्लेख किया गया है।

 

इसका अर्थ यह हुआ कि राज्य द्वारा अपने कार्मिकों को पेंशन देना राज्य सूची का अपना विषय है जिसमें केंद्र सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।

 

22 दिसम्बर 2003 को जारी नई पेंशन प्रणाली हेतु केंद्र सरकार के संकल्प में यह प्रावधान किया गया था कि राज्य के लिए यह वैकल्पिक व्यवस्था होगी कि वे जब चाहे नई योजना को अपना सकते हैं। इसके अतिरिक्त नई पेंशन योजना से संबंधित किसी भी अधिसूचना में कहीं भी राज्यों के लिए इसे लागू करना अनिवार्य नहीं किया गया है।

 

यही कारण है कि केंद्र सरकार द्वारा इस योजना को 1 जनवरी 2004 से केंद्रीय कर्मियों पर अनिवार्य रूप से लागू करने के बाद भी अधिकांश राज्यों में पुरानी पेंशन योजना ही लागू रही। नागालैंड, मिजोरम और मेघालय में पुरानी पेंशन योजना जहां 2010 तक लागू रही, वहीं केरल में 2013 तक इसके अतिरिक्त पश्चिम बंगाल में पुरानी पेंशन योजना आज भी लागू है।

 

इसके इलावा केंद्र सरकार द्वारा समय समय पर और एनपीएस में किए गए बदलाव भी जैसे फैमिली व डिसएबिलिटी पेंशन, सरकार का शेयर 10% से 14%, CGHS बेनिफिट्स के नोटिफिकेशन भी सभी राज्य सरकार अलग अलग समय पर अपने राज्यों में लागू कर रही है।

 

कोई भी राज्य सरकार अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू करने के लिए स्वतंत्र है।

 

वह केंद्र सरकार की सहमति या असहमति के बिना भी इसे लागू कर सकती है, क्योंकि पेंशन पर होने वाला खर्च उसे राज्य की संचित निधि से देना होगा।

 

संविधान की सातवीं अनुसूची के अंतर्गत राज्य सूची के विषयों में 42 वें स्थान पर राज्य की पेंशन अर्थात राज्य द्वारा या राज्य की संचित निधि में से संदाय पेंशन का उल्लेख किया गया है। इसका अर्थ यह हुआ कि राज्य द्वारा अपने कार्मिकों को पेंशन देना राज्य सूची का अपना विषय है, जिसमें केंद्र सरकार कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।

 

जो भी राज्य सरकार या संगठन ये प्रचार करता है, कि राज्य सरकार को अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के किए केन्द्र की अनुमति लेनी होगी तो वो केवल अपने कर्मचारियों को गुमराह करने का प्रयास मात्र है।


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