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CG News: 22 साल पहले आज के ही दिन बना था छत्तीसगढ़… पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी जी ने फटे कुर्ते में ली थी शपथ; बरसात में टपकती रही थी CM हाउस की छत, और जानें | ऑनलाइन बुलेटिन

रायपुर | [धर्मेंद्र गायकवाड़] | CG News: छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुए 22 हो गए। इन 22 सालों में छत्तीसगढ़ में अनेक बदलाव हुए। तरक्की की रह पर तेजी से आगे बढ़ते छत्तीसगढ़ के विकास की कल्पना प्रथम मुख्यमंत्री श्री अजीत जोगी जी ने की थी। नया राज्य और काम संसाधन के बीच उन्होंने जो काम किए वो आज भी मील का पत्थर है। वे आज भी लोगों के दिलों में बसते हैं। यहां पाठको के लिए प्रस्तुत है भूली बिसरी यादें।

 

मध्यप्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ साल 2000 में अलग राज्य बना था। वह तारीख थी 1 नवंबर 2000। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के साथ पहले मुख्यमंत्री के चयन और सरकार के पहले दिन के कामकाज के किस्से भी दिलचस्प हैं। छत्तीसगढ़ के पहले यशश्वी मुख्यमंत्री अजीत जोगी जी ने फटे कुर्ते में शपथ ली थी। शपथ ग्रहण वहीं जोगी परिवार समारोह शुरू होने से चार-मिनट पहले जैसे-तैसे वे लोग वहां पहुंच पाया था।

छत्तीसगढ़ के पहले यशश्वी मुख्यमंत्री दिवंगत अजीत जोगी जी के बेटे और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी जी ने एक न्यूज चैनल को बताया, वह 31 अक्टूबर का दिन था। तय हुआ था कि उस दिन आधी रात के बाद जैसे ही एक नवंबर होगा नई सरकार अस्तित्व में आएगी। उसी समय पर मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह होना है। बड़े असमंजस की स्थिति थी। लोगों को समझ में नहीं आ रहा था कि कौन राज्य का मुख्यमंत्री बनेगा।

 

अमित जोगी जी ने आगे बताया कि फिर अंत में तय हुआ कि छत्तीसगढ़ का पहला मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य मेरे पिताजी को दिया जाएगा। तब तक शपथ ग्रहण समारोह में बहुत कम समय बचा था। ऐसे में मेरे पिताजी और उनके मुख्य सहयोगी सभी शपथ ग्रहण के लिए चले गए। मैं और मेरी मां यहां पीकेडली होटल में रुके थे। हमें किसी ने पूछा भी नहीं। हमारे पारिवारिक मित्र थे समीर दुबे, उनके पास एक मारुति 800 कार थी। उसी में उनका पूरा परिवार और हम लोग मिलाकर करीब 7-8 लोग किसी तरह बैठकर पुलिस लाइन पहुंचे।

 

वहां पुलिस वालों ने रोक दिया। कोई किसी को पहचान तो रहा नहीं था। काफी देर तक उनको परिचय देकर समझाना पड़ा। इस बीच डोंगरगढ़ से विधायक गीता देवी सिंह वहां पहुंचीं और उनके साथ समारोह से केवल चार-पांच मिनट पहले सभी लोग वहां पहुंच पाये। अजीत जाेगी जी की पत्नी डॉ. रेणु जोगी जी को याद है कि 31 अक्टूबर की सुबह जब अजीत जाेगी जी बैठक के लिए जा रहे थे तो उन्होंने देखा कि उनके कुर्ते में जेब के पास फटा हुआ है। उन्होंने कहा, कुर्ता बदल लीजिए लेकिन उन्होंने कहा, जाने दो कुर्ता कौन देखता है। वे वैसे ही चले गए। आनन-फानन में मुख्यमंत्री चुन लिए गए और उसी कुर्ते में उन्होंने शपथ भी ले लिया।

 

बरसात में टपकती रही CM हाउस की छत

 

अमित जोगी जी बताते हैं कि, प्रशासन ने मुख्यमंत्री के लिए शंकर नगर का वह बंगला तय किया था जो अब राज्य अतिथि गृह “पहुना’ है। मुख्यमंत्री बनने के बाद उनके पिता ने उसे रिजेक्ट कर कलेक्टर के बंगले को CM हाउस के तौर पर चुना। उस घर से उनका लगाव था। रायपुर कलेक्टर रहते हुए 1978 से 1981 तक वे इसी घर में रहे थे। मेरी बहन का जन्म भी वहीं हुआ था। मुख्यमंत्री का परिवार वहां पहुंचा था तो आवास में कुछ नहीं था। रात में बरसात हुई थी। सुबह उठे तो पापा ने कहा, हाथ में थोड़ा बाम लगा दो बहुत दर्द दे रहा है। मैंने पूछा कि क्या हो गया था। उन्होंने बताया, रात भर कमरे में पानी टपका है। उन्होंने बाल्टी लगा रखा था, वह भर जाती तो उसे बाहर फेंककर फिर लगाना पड़ता था।

मुख्यमंत्री निवास में कोई बाड़बंदी नहीं थी

 

डॉ. रेणु जाेगी जी को याद है कि, जब वे लोग मुख्यमंत्री निवास में रहने गये थे तो उसकी कोई चारदीवारी नहीं थी। कंटीले तारों को कुछ हिस्सों में जरूर खड़ा किया गया था। अमित जोगी जी ने बताया, बंगले से लगा हुआ गांधी-नेहरु उद्यान था। वहां सुबह टहलने आये लोग मुख्यमंत्री निवास तक आ जाते थे। उनके साथ हम लोग भी बात करते हुए मॉर्निंग वॉक करते थे। सुरक्षा के नाम पर 2 होमगार्ड की ड्यूटी होती थी।

 

रात को टेलीफोन रिसीव करने वाले भी हम खुद होते थे। इंगलिश टाइपिंग के लिये कोई नहीं मिला था। वह काम पापा उनसे कराते थे। एक साल तक मुख्यमंत्री निवास में कोई रेनोवेशन नहीं हुआ। उनके पिता का कहना था, यहां कुछ कराया जाएगा तो सभी मंत्रियों- विधायकों के बंगलों में कराना होगा। सरकार के पास अभी यह सब खरीदने का पैसा नहीं है।

ऐसे डिजाइन हुआ था सरकार का राजचिन्ह

 

छत्तीसगढ़ सरकार का अधिकारिक राजचिन्ह- LOGO एक साल बाद सामने आया। डॉ. रेणु जोगी जी ने बताया, उसका डिजाइन उन्होंने हाल ही में रिटायर हुए IAS अधिकारी सी.के. खेतान के साथ मिलकर डिजाइन किया था। इसमें छत्तीसगढ़ के प्रतीक के तौर पर 36 परकोटे और धान की दो बालियों को रखा गया था।

 

अंत में जोगी जी ने उसमें बिजली के प्रतीक जुड़वाये। फिर नदियों को भी उसमें शामिल कर अंतिम रूप दिया गया। उनका कहना था कि छत्तीसगढ़ केवल धान का कटोरा ही नहीं वह पॉवर हब भी बनेगा। पहले राज्य स्थापना दिवस पर यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस लोगो का अनावरण किया था।

तीन दिन का हुआ था पहला राज्योत्सव, सोनिया आई थीं

 

राज्य के पहले स्थापना दिवस पर तीन दिन का राज्योत्सव हुआ था। इसमें सोनिया गांधी जी को आना था। इस बीच माधव राव सिंधिया के निधन की वजह से उन्होंने आने से मना कर दिया था। उन्होंने पहले प्रणव मुखर्जी को भेजने की बात कही थी। बाद में अजीत जोगी जी के लगातार आग्रह पर वे आने को तैयार हुईं। राज्योत्सव में शामिल हुईं। ट्रेड फेयर देखा, नया रायपुर का शिलान्यास किया। राजीव स्मृति उपवन का शिलान्यास हुआ।

 

वहीं कई दूसरी योजनाओं की आधारशिला रखी गई। वह आयोजन ट्रेंड सेटर था। राज्य अलंकरण दिये गये। ऑटोमोबाइल पर सेल्स टैक्स माफ कर दिया गया था तो वहां से कारों की इतनी बिक्री हुई जितनी साल भर में भी नहीं हुई थी। धान खरीदी शुरू करने की घोषणा हुई। उस समारोह में 60 देशों के राजदूत शामिल हुए थे।

22 वर्षों में तीन मुख्यमंत्री

 

मध्यप्रदेश से अलग हुए छत्तीसगढ़ राज्य ने 22 वर्षों में तीन मुख्यमंत्री देख लिए। प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी जी थे। वे करीब तीन साल तक कांग्रेस नेता के तौर पर मुख्यमंत्री रहे। 2003 से 2018 तक लगातार 15 साल बीजेपी की सरकार रही। इस दौरान रमन सिंह लगातार मुख्यमंत्री रहे। 2018 में सत्ता बदली और भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने।

 

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