मस्तूरी – खपरी में गौरा-गौरी का किया गया विसर्जन | newsforum
मस्तूरी | ग्राम खपरी में आदिवासियों द्वारा गौरा-गौरी का विसर्जन किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित जिला पंचायत सदस्य सभापति राजेश्वर भार्गव, सुभाष टंडन, राम गोपाल भार्गव एवं जनपद सदस्य प्रतिनिधि, ग्राम पंचायत के सरपंच द्वारा गौरा-गौरी का विसर्जन किया गया। जिसमें समस्त ग्रामवासी खपरी ओखर उपस्थित थे।
शिव-पार्वती की होती है पूजा
छत्तीसगढ़ में गौरी-गौरा पूजा का विशेष महत्व है। इस त्योहार में लोग मिट्टी से गौरा-गौरी (शिव-पार्वती) की प्रतिमा बनाकर रात भर पूजा अर्चना करते हैं। पूरा कार्यक्रम विवाह समारोह जैसा होता है। गौरी (पार्वती) की प्रतिमा का गौरा (शिव) से विवाह कराया जाता है। आदिवासी समाज इसे शंकर-पार्वती का रूप मानते हैं।
कोरोना का दिखा असर
ग्रामीणों ने बताया कि हर साल गौरा-गौरी की प्रतिमा के साथ आकर्षक झांकी भी निकाली जाती थी, लेकिन इस साल कोरोना की वजह से झांकी नहीं निकाली गई। ग्रामीण बताते हैं कि 24 घंटे के लिए गौरा-गौरी को पूजा के लिए आमंत्रित किया जाता है। इसके बाद दोनों की प्रतिमाओं को विधि-विधान के साथ और गाजे-बाजे के साथ धूमधाम से नदी तक ले जाया जाता है। जहां नदी के तट पर एक बार फिर दोनों प्रतिमाओं की पूजा की जाती है। इसके बाद आदरपूर्वक प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है।
©मस्तूरी से राम गोपाल भार्गव की रपट
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