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रायपुर में SAVE PSU COMPEIGN के तहत एकदिवसीय राष्ट्रीय कोआर्डिनेशन सेमिनार का आयोजन l ऑनलाइन बुलेटिन

रायपुर l (छत्तीसगढ़ बुलेटिन) l  देशभर में सार्वजनिक  एवं सरकारी उपक्रमों के निजीकरण के सरकार के कुत्सित प्रयास के खिलाफ  रायपुर में 27 फरवरी रविवार की सुबह 11 से शाम 5 तक विहान कैफेटेरिया, एयर पोर्ट रोड में “सार्वजनिक उपक्रम वचाओ अभियान ” के तहत विभिन्न सार्वजनिक  एवं सरकारी क्षेत्रों केपदाधिकारियों, ट्रेड यूनियन , श्रमिक संगठनों और सामाजिक संगठनों के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय  समन्वयात्मक वैचारिक एवं रणनीतिक  संगोष्ठि का आयोजन  किया गया। कार्यक्रम का आगाज सभी संगठनों के उपस्थित प्रतिनिधियो के स्वागत एवं सम्मान एवं औपचारिक परिचय के साथ किया गया।

इस अभियान और वैचारिक गोष्ठी के प्रारंभ में एयर इंडिया  के प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित शिव टंडन ने इस कार्यक्रम के आयोजन की प्रस्तावना, उद्देश्य, आवश्यकता और सार्वजनिक शासकीय उपक्रमों के निजीकरण से  कर्मचारियों के  साथ भारतीय  लोकतांत्रिक व्यवस्था, आम जनता एवं नागरिकों को होने वाली कठिनाइयों की संभावना और जमीनी हकीकत पर वृहत प्रकाश डाला।

 

इस कार्यक्रम मे स्वतंत्र रेलवे बहुजन कर्मचारी यूनियन रायपुर के डिवीजीनल सेक्रेटरी श्री भोला चौधरी  रेलवे प्रतिनिधि एवं मंच संचालक के  रूप में भगीदारी किये। उन्होंने मंच संचालन एवं रेलवे प्रतिनिधि की दोहरी जिम्मेदारी का निर्वाह करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र बचाओ अभियान की  भूमिका और उद्देश्य आधारित  विभिन्न पहलुओं पर अपनी तथ्यपूर्ण बाते रखते हुए कहा कि निजीकरण और मौद्रीकरण भारतीय लोककल्याणकारी राज्य के लोकतांत्रिक सिद्धान्त और संविधान के मूलभावना आर्थिक सामाजिक राजनीतिक समता स्वतंत्रता और  बंधुता के विरूद्ध है।

आज संस्थानों को “एक सोची समझी साजिश के तहत शासकीय संस्थानों को बदनाम कर निजीकरण की भूमिका तैयार की जा रही है। जिसे आम जन को  काफी गंभीरता पूर्वक समझना होगा।” सरकारी संस्थाओं को कुछ विशेष पूंजीपतियों के हाथों में देश की उधोगों, बैंको, रेलवे के मालिकाना अधिकार देने एवं  निजीकरण से समाज मे आर्थिक असमानता  भेदभाव और शोषण उत्पीड़न को  बढ़ावा मिलेगा।

 

इसलिए आज विभिन्न शासकीय पब्लिक सेक्टर, अर्धशासकीय क्षेत्रों के संगठनों, ट्रेड यूनियन के पदाधिकारियों को आपस मे संगठित होकर और समन्वय बनाकर देशव्यापी शसक्त आंदोलन की रणनीति बनानी होगी तभी पूंजीवादी ताकतों से निपट सकेंगे।

प्रथम प्रतिनिधि सत्र में अपनी बातें रखते हुए  पावर सेक्टर से पीएन सिंह ने छत्तीसगढ़ पावर कंपनियों की नकारात्मक पहलुओं को उजागर किया तथा उनसे निजात पाने की  विभिन्न पहलुओं पर वृहत प्रकाश डाला।

 

LIC की ओर से यशोधरा राउत ने निजीकरण के विरोध में अपनी बात रखते हुए कहा कि “यह लड़ाई  शोषणकारी कॉरपोरेट और पूंजीवादी घरानों के खिलाफ है। पूंजीवादी आर्थिक नीतियों के कारण आम लोगों को जो सुविधा और सुरक्षा जीवन भारतीय जीवन विमा पर थी वह नही रहेगा। इसलिए निजीकरण के खिलाफ आम जन को एकजुट होकर संघर्ष करने की आवश्यकता है। आगे उन्होंने कहा कि वर्तमान महामारी के दौर में हम देख रहे हैं कि निजी अस्पताल तथा अन्य निजी संस्थानों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रहा। निजी अस्पतालों ने एक तरह से अराजकता का माहौल पैदा कर दिया था। इससे भी आगे बढ़ कर वर्तमान में हम सोशल मीडिया से जुड़ी विदेशी कंपनियों की दादागिरी को देख ही रहे हैं।

भारत पेट्रोलियम से प्रशांत माने ने राष्ट्र निर्माण में सार्वजनिक क्षेत्रों की आयल कंपनियों  की भूमिका को विस्तृत अकड़ों के साथ प्रस्तुत किया।

 

भारत संचार निगम लिमिटेड से एससी भट्टाचार्य ने BSNL की सेवा को किस तरह समाप्ति के कगार पर ला खड़ा किया गया  और निजी कंपनी को प्रोमोट किया गया, उसकी रणनीतिक षड्यंत्र को उद्घाटित किया।

SAIL भिलाई से राजेन्द्र परगनिहा ने भिलाई स्टील प्लांट औऱ भारत की अर्थव्यवस्था एवं सामाजिक व्यवस्था को स्थापित किया। उन्होंने कहा कि इस्पात में आत्मनिर्भरता मात्र केवल स्टील प्लांट के कारण सम्भव हुए है। जिससे इंफ्रास्ट्रक्चर विकास के साथ आम नागरिकों का जीवन स्तर में भी बाद सकारात्मक परिवर्तन हुआ, लेकिन लाभकारी सार्वजनिक कंपनियों को भी कोड़ियों के भाव में  पूंजीपतियों को बेचने की प्रक्रिया चल रही है।

 

NTPC से उपस्थित श्री सोनित ने थर्मल पावर द्वारा भारत की अर्थव्यवस्था और राष्ट्र निर्माण में भूमिका को रेखांकित किया।

बैंकर्स यूनियन के महासचिव हर्षवर्धन सिंह बिष्ट ने बैंकों पर पड़ने वाले दबाव और बढ़ते एन. पी. ए. के चलते बैंकों की गिरती वित्तीय स्थिति पर प्रकाश डाला। सरकार और आरबीआई कितने भी दावे करे उनका नियंत्रण निजी क्षेत्र के बैंकों पर न्यूनतम ही रहेगा। इसका ज्वलंत उदाहरण प्रधानमंत्री जनधन योजना तथा प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के क्रियान्वयन के समय हम देख चुके हैं। इनमें निजी बैंकों का सहयोग राष्ट्रीयकृत बैंकों से काफी कम रहा।

 

लोकप्रशासन की शोधकर्ता विनीता दुर्गम ने निजीकरण से वेरोजगरी बढ़ने नेपोटिज्म बढ़ने, सभी वर्गों का समानुपातिक प्रतिनिधित्व खत्म होने और पारदर्शिता का अभाव होने की  जमीनी हकीकत को रेखांकित किया।

 

एयरपोर्ट ऑथोरिटी से फिरोज खान ने ट्रेड यूनियनों की राज्यसत्ता से मिलीभगत कर अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने की कड़वी सच्चाई को उजागर किया।

 

भोजनोपरांत द्वितीय प्रतिनिधि सत्र में अखिल भारतीय अजा जजा रेलवे कर्मचारी संघ दपमरे रायपुर के मंडल अध्यक्ष भोली चौधरी ने निजीकरण के नकारात्मक पहलुओ को उजागर करते हुए कहा कि निजीकरण राष्ट्रीय जिम्मेदारी से भागने की राज्यसत्ता की एक षड्यंत्र है।

उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि निजीकरण के बाद रेल के किराए में सुविधाओं के नाम पर बढ़ोतरी होगी, जिससे गरीबों को ही नहीं मध्यम वर्ग के बड़े तबके को भी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा। रेलवे एक बहुत बड़ा रोजगार और सार्वजनिक परिवहन का क्षेत्र है। अतः हर भारतीय  नागरिक का नैतिक और राष्ट्रीय कर्तव्य है कि देश का गौरव रूपी भारतीय रेलवे  की विभिन्न लाभकारी इकाइयों को निजी हाथों में जाने से बचाएं।

 

इस कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए सोशल  एक्टिविस्ट डॉ गोल्डी जॉर्ज ने किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए उसी तरह निजीकरण के खिलाफ संघर्ष की बात करते हुए कहा कि “निजीकरण सिर्फ पूंजीपतियों, उद्योगपतियों और कॉर्पोरेट घरानों  के निजी फायदे के लिए किया जा रहा है।” जिसका खामियाजा समाज के सबसे निचले तबके एवं हासिये के दलित पिछडो को भुगतना पड़ेगा। अतः एक अभियान के तहत रणनीति बनाकर  इसका पुरजोर विरोध करना होगा।

 

सफाई कामगार यूनियन भिलाई के जयप्रकाश नायर ने कहा कि निजी क्षेत्र के उद्योगों और संयंत्रों को देश और समाज के सामाजिक- आर्थिक सरोकारों से ज्यादा स्वयं के हित से सरोकार होगा। उन्होंने कहा कि “निजीकरण के खिलाफ लड़ाई एक  राजनैतिक आंदोलन है जिसमें समाज के सभी वर्ग के लोगों को  मुखर होकर  लोकतांत्रिक तरीके से शसक्त आवाज़ उठानी होगी।”

 

 

उक्त सेमिनार में डॉक्टर दिनेश अबरोल, प्रोफेसर जेएनयू (जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, दिल्ली) मुख्य वक्ता के रूप में सार्वजनिक क्षेत्रों की बचाब की रणनीति और कार्ययोजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि निःसंदेह निगमीकरण मौद्रीकरण और
निजीकरण से भारतीय अर्थव्यवस्था और सामाजिक संरचना को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है। भविष्य में  इस दिशा में क्या हो सकता है, इन संभावनाओं को जन जन तक पहुंचाने के लिये एक वृहत कार्ययोजना बनाए जाने पर भी विस्तार से प्रस्तुति दिया।

 

मंच पर आसीन विशेष अतिथि एवं वरिष्ठ कार्यकर्ता के रूप में टी आर खूंटे ने सभी सरकारी, सार्वजनिक इकाइयों के अधिकारियों कर्मचारियों ट्रेड यूनियनों को आपस मे एकजुट  होकर सामुहिक प्रयास करने की जरूरत है।

इस संगोष्ठी के अंत में बैंकर्स यूनियन के अध्यक्ष श्री बैनर्जी ने निष्कर्ष के तौर पर प्रस्तुति देते हुए कहा कि लगभग सभी सार्वजनिक इकाईयो के लोग कम ज्यादा पीड़ित है। अतः जरूरत है बीमारी को समझकर उसके सामुहिक इलाज ढूढने की।

 

सभी उपस्थित प्रतिनिधियों के सलाह एवं विचार विनिमय के आधार पर आमसहमति से  एक “ALL INDIA SAVE PSU CO-ORDINATION COMMITTEE”  नामक संगठन आधारशिला रखी गई तथा विभिन्न सार्वजनिक उपक्रमों के प्रतिनिधियों को अभियान संचालन हेतु सामुहिक जिम्मेदारी भी दिया गया।

 

इस एकदिवसीय सार्वजनिक उपक्रम बचाओ समन्वयात्मक वैचारिक गोष्ठी का मंच संचालन स्वतन्त्र रेलवे बहुजन कर्मचारी यूनियन के मंडल सचिव रेलवे भोला चौधरी ने किया  प्रस्तावना एयर इंडिया के शिव टंडन ने प्रस्तुत किया और धन्यवाद ज्ञापन तुलसी साहू ने किया। इस कोऑर्डिनेशन सेमिनार में  रेलवे, बैंक, LIC, SAIL, BPCL, NTPC, पॉवर सेक्टर, CSEB, एयर इंडिया, APAI, GSI तथा विभिन्न शासकीय, पब्लिक सेक्टर  के पदाधिकारियों, यूनियन प्रतिनिधियो, सोशल एक्टिविस्ट, बौद्धिक व सांस्कृतिक कर्मी सहित लगभग 80 लोगो की गरिमामयी भागीदारी रही।

 


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