प्रमोशन में आरक्षण को लेकर एससी-एसटी शिक्षक लामबंद, बैठक में विरोध-प्रदर्शन का लिया निर्णय, सर्व आदिवासी समाज व प्रगतिशील सतनामी समाज ने दिया समर्थन | ऑनलाइन बुलेटिन
नवा-रायपुर | (छत्तीसगढ़ बुलेटिन) | शिक्षा विभाग में चल रही पदोन्नत्ति प्रक्रिया में बगैर आरक्षण रोस्टर के होने वाली वर्तमान पदोन्नति को रोक लगाने छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से आए अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के शिक्षकों की बैठक नवा-रायपुर में आयोजित हुई। बैठक में उपस्थित शिक्षकों ने 16 जनवरी 2022 को बगैर आरक्षण के प्रमोशन मंजूर नहीं करने एक सुर में आवाज बुलंद करते हुए आगामी दिनों में सीएम हाउस से लेकर शिक्षामंत्री निवास होते हुए मंत्रालय, नवा रायपुर तक 6 फीट की दूरी में मानव श्रृंखला बनाकर बैठने का निर्णय शिक्षकों ने लिया है। शिक्षकों के निर्णय का सर्व आदिवासी समाज व प्रगतिशील सतनामी समाज के प्रतिनिधियों ने अपना समर्थन देते हुए शिक्षकों के साथ खड़े रहने सहमति प्रदान किया है।
ज्ञात हो कि शिक्षा विभाग ने दिनांक 31 जनवरी 2022 तक लगभग 40,000 पदों में पदोन्नति देने की तैयारी कर ली है। आरक्षण रोस्टर के अनुसार लगभग 40,000 पदों में 18,000 पद अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के हिस्से में आएंगे। बगैर आरक्षण के पदोन्नति होने से 18,000 हजार अनुसूचित जाति, जन जाति वर्ग के शिक्षक अपने मूल अधिकार से वंचित हो जाएंगे, जो कि भारत के संविधान में वर्णित आर्टिकल 16 (4) क पदोन्नति में आरक्षण एवं आर्टिकल 335 प्रत्येक शासकीय पदों में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्गों के दावे का हनन करता है। शिक्षा विभाग के अलावा अन्य विभागों में भी बगैर आरक्षण रोस्टर के अनारक्षित बिंदु में सारे पदों को भरने का खेल जारी है।
अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति पदोन्नति में आरक्षण का मामला कोर्ट में प्रक्रियाधीन है। मामले की अगली सुनवाई दिनांक 16 फरवरी 2022 को होनी है। राज्य सरकार ने अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्गों को पदोन्नति में आरक्षण देने गठित क्वांटिफायबल डेटा कमेटी के रिपोर्ट को मंत्रीमण्डल की बैठक में अनुमोदित कर दिया है।
उक्त अनुमोदन में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्गों के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व को साबित किया है एवं पदोन्नति में आरक्षण जारी रखने सकारात्मक कार्यवाही करने का निर्णय लिया है। राज्य शासन की ओर से पदोन्नति में आरक्षण के केस की पैरवी करने नियुक्त स्पेशल काउंसिल एडवोकेट मनोज गौरकेला सुप्रीम कोर्ट ने जवाब-दावा उच्च न्यायालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ में प्रस्तुत कर दिया है।
राज्य के विभिन्न जिलों से आए शिक्षकों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शासन का ध्यान आकृष्ट कराया है कि छग शासन के शिक्षा विभाग सहित विभिन्न विभागों में चल रही पदोन्नति प्रक्रिया को कोर्ट के अंतिम निर्णय आने तक रोक लगाने की बात कही है। जिनसे वर्तमान में चल रही अनारक्षित बिंदु में पदोन्नति प्रक्रिया से राज्य के अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के आधिकारी-कर्मचारियों में काफी आक्रोश है।
उन्होंने बताया कि यदि 19 जनवरी 2022 तक अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्गों के आधिकारी कर्मचारियों की बातें नहीं सुनी गई तो राज्य के अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के शिक्षक एवं अन्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी अवकाश लेकर सीएम हाउस से लेकर शिक्षा मंत्री निवास होते हुए मंत्रालय, नवा रायपुर तक 6 फीट की दूरी में मानव श्रृंखला बनाकर बैठने का निर्णय लिया है।
बलौदाबाजार जिले के सर्व आदिवासी समाज व प्रगतिशील सतनामी समाज के प्रतिनिधियों ने शिक्षकों के साथ खड़े रहने सहमति दिया। रजिस्टर में किए गए हस्ताक्षर के अनुसार बारी-बारी से 300 से अधिक अधिकारी-कर्मचारी, शिक्षक-शिक्षकाएं निर्णय बैठक में शामिल रहे। अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति शिक्षक संवर्ग एवं अन्य विभाग के आधिकारी कर्मचारियों का साझा समूह।