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ये कहानी फिल्मी लगती है : अमीरी की चाहत में दाऊ ने 17 साल पहले घर छोड़ा, पुलिस ने ढूंढा तो बन गया था बिरजू | ऑनलाइन बुलेटिन

रायपुर | [छत्तीसगढ़ बुलेटिन] | यह कहानी है रायगढ़ में कोसीर गांव के सोनी परिवार की। परिवार का 29 साल का बेटा दाऊ सोनी। पढ़ाई में होशियार। डबल MA पास, लेकिन घर की गरीबी उसे रास नहीं आ रही थी। लोग भी उसे पढ़ा-लिखा होने के चलते ताना मारने लगे। कहीं काम नहीं मिला तो दाऊ 2005 में घर छोड़कर निकल गया। कहकर गया कि वह खूब पैसा कमाकर ही घर लौटेगा। एक-एक दिन कर ऐसे 17 साल बीत गए, पर दाऊ नहीं लौटा।

 

लोगों के तानों से परेशान एक युवक ने अमीर बनने की चाहत में घर छोड़ दिया। जमा-पूंजी चिटफंड में डूब गई। इधर-उधर भटकता रहा, मजदूरी की। पेंटिंग का काम सीखा और दीवारें रंगने लगा, पर शर्मिंदगी इतनी थी कि घर नहीं लौट सका। फिल्मी लगने वाली यह कहानी छत्तीसगढ़ के गरियाबंद की है। जहां पुलिस ने 17 साल बाद युवक को ढूंढ निकाला। युवक मंगलवार को जब अपने घर पहुंचा तो परिजन खुशी से झूम उठे।

 

गरियाबंद पुलिस ने सर्चिंग में ढूंढा

 

गरियाबंद जिला संवेदनशील होने के चलते SP ने बाहर से आए लोगों की जांच के आदेश दिए थे। इस पर पुलिस रविवार को सूची की तस्दीक कर रही थी। इस लिस्ट में दाऊ उर्फ बिरजू का भी नाम था। वह देवभोग के फोकटपारा में 7-8 साल से रह रहा था। पुलिस ने उसे थाने बुला लिया। आधार कार्ड में रायपुर के मठ पुरैना का पता लिखा था। इस पर पुलिस ने पारिवारिक जानकारी मांगी। पहले तो वह टालमटोल करता रहा, फिर परिवार के बारे में बताया।

 

थाना प्रभारी बसंत बघेल ने बताया कि बिरजू के रायगढ़ में कोसीर थाने के गांव में परिवार की तस्दीक की गई। कोसीर पुलिस से संपर्क कर बिरजू की फोटो भिजवाई। पुलिस टीम रात में उसके घर पहुंची। फोटो देखकर परिवार के लोगों ने पहचान लिया और पूरी बात बताई। इसके बाद सोमवार को बिरजू के दोनो बड़े भाई और अन्य परिजन उसे लेने के लिए पहुंचे। वहां दाऊ उर्फ बिरजू को देखकर भाई उससे लिपट गए और फूट-फूट कर रोने लगे।

 

घर पहुंचा तो मां ने गले लगाया

 

मंगलवार सुबह दाऊ उर्फ बिरजू रायगढ़ में अपने गांव पहुंचा। वहां उसके स्वागत के लिए पहले ही से तैयारियां की गई थी। गांव में साउंड बॉक्स लगाया गया, जिसमें गाने बज रहे थे। मां को देखते ही बिरजू ने पैर छुए तो उन्होंने सीने से लगा लिया। दोनों बहुत देर तक लिपट कर रोते रहे। उसे गांव वालों और परिजनों ने माला पहनाई। बड़े भाई अजित सोनी व मंझले उदय ने कहा कि हम तो मान चुके थे कि अब वह दुनिया में नहीं होगा।

 

तो शादी नहीं की, घर भी नहीं लौटा

 

दाऊ सोनी ने बताया कि घर छोड़ने के बाद उसने पहचान छिपाने के लिए अपना नाम बिरजू रख लिया था। उसने रायपुर में हमाली-मजदूरी की। फिर पेंटर का काम सीखा। काम करते-करते वह गरियाबंद जिले के देवभोग पहुंच गया और साल 2009 से वहीं रहकर पेंटिंग का काम करता रहा। उसने कहा कि अमीर बनने और खूब रुपए कमाने का सपना लेकर घर से निकला था। सपना अधूरा था, तो शादी नहीं की। घर भी नहीं लौटा। अगर पुलिस नहीं ढूंढती तो वह अब भी घर नहीं लौटता।

 

अभियान चला रही गरियाबंद पुलिस

 

गरियाबंद जिला सवेदनशील होने के अलावा ओडिशा सीमा से घिरा हुआ है। इसे देखते हुए पुलिस कप्तान जेआर ठाकुर ने नागरिक पहचान का अभियान चलाया हुआ है। कमान खुद उन्होंने अपने हाथ में ले रखी है। इस अभियान के तहत किराये या किसी अन्य ठिकाने पर बगैर सूचना के रहने वाले लोगो की पहचान एकत्रित कर रही है, ताकि उनके प्रोफाइल का पता चल सके।

 

 

©बिलासपुर से अनिल बघेल की रपट


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