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इस्लामी कोर्ट के 3 तलाक आदेश पर रोक: ‘इदारा ए शरीया’ इस्लामी कोर्ट ने महिला के घर भेज दिया आदेश, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब l ऑनलाइन बुलेटिन

बिलासपुर l (कोर्ट बुलेटिन) l छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 3 तलाक को लेकर दिए गए रायपुर के ‘इदारा ए शरीया’ इस्लामी कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है। दरअसल, “इदारा ए शरीया” इस्लामी कोर्ट ने अपने आप को संवैधानिक संस्था के रूप में स्थापित कर यह आदेश दिया है, जिसे महिला ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। जस्टिस पी सेम कोशी की बेंच ने इस मामले में केंद्र सरकार, राज्य शासन और इस्लामी संस्था को नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा है।

 

रायपुर में कथित इस्लामी कोर्ट के नाम से एक मुस्लिम महिला को तीन तलाक का आदेश दिया गया है। महिला ने इसे अवैधानिक बताते हुए अपने अधिवक्ता देवर्षि ठाकुर के माध्यम से हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में बताया गया कि 3 तलाक को अवैधानिक मानते हुए मुस्लिम महिलाओं के लिए 3 तलाक मुस्लिम एक्ट की धारा 4 का प्रावधान किया गया है लेकिन इस्लामी कोर्ट ने 3 तलाक को स्वीकार कर आदेश जारी कर दिया है। तलाक आदेश में हस्ताक्षर कर मुस्लिम महिला के घर भेजा गया था। तब उन्हें इसकी जानकारी हुई।

 

पति-पत्नी दोनों का हुआ है दूसरा निकाह

 

रायपुर की पीड़ित इस महिला की शादी 18 जुलाई 2020 को डगनिया के एक मुस्लिम युवक से हुई थी। दोनों का यह दूसरा निकाह है। महिला जॉब करती है। उनकी शादी के कुछ महीनों के बाद ही आपस में विवाद शुरू हो गया। उनका किसी भी न्यायालय में तलाक का प्रकरण नहीं चल रहा है। महिला के पति ने कुछ दिन बाद उसे अपने मायके भेज दिया और इस्लामिक कोर्ट कही जाने वाली संस्था से 3 तलाक का आदेश भेज दिया।

 

पूरी तरह अवैधानिक है संस्था, नहीं है कोई कोर्ट

 

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने इस मामले में तर्क दिया कि महिला के घर जिस इस्लामिक कोर्ट का आदेश आया है, वह कोई वैधानिक संस्था नहीं है। जिसे कोर्ट के रूप में स्वीकार किया जाए। उन्होंने कोर्ट के नाम से जारी इस तरह के आदेश पर भी आपत्ति जताई है। कोर्ट ने प्रारंभिक सुनवाई में ही याचिकाकर्ता की दलीलों को स्वीकार कर जारी तलाक आदेश पर पूरी तरह से रोक लगा दिया है।


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