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बिलकिस बानो के बलात्कारियों को ‘अच्छे व्यवहार’ के चलते मिली छूट, गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा | ऑनलाइन बुलेटिन

नई दिल्ली | [कोर्ट बुलेटिन] | बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 11 दोषियों को छूट देने के अपने फैसले का बचाव करते हुए गुजरात भाजपा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया है। गुजरात भाजपा सरकार ने कहा कि सरकार ने जेल में 14 साल की सजा पूरी करने के बाद दोषियों को छूट दी थी और उनका ‘व्यवहार अच्छा पाया गया था’।

 

हलफनामे में गुजरात भाजपा सरकार ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस साल 11 जुलाई को एक पत्र के माध्यम से समय से पहले रिहाई को मंजूरी दी थी।

 

क्या है पूरा मामला

 

गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में 15 अगस्त को 11 दोषियों को छूट दी थी। यह राज्य सरकार की 1992 की छूट और आजीवन दोषियों के लिए समय से पहले रिहाई नीति के तहत किया गया था। गैंगरेप के दोषियों के रिहाई के समय कई लोगों ने इसे सरकार का गलत फैसला बताया था। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों पर लोगों ने इसका विरोध किया था।

 

बता दें कि दोषियों की रिहाई की जानकारी बिलकिस बानो को भी नहीं दी गई थी। दोषियों की रिहाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दो याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था। माकपा नेत्री सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लौल और शिक्षाविद रूप रेखा वर्मा ने दोषियों के रिहाई को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके अलावा टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी इस मामले में एक याचिका दायर की थी।

 

क्या है बिलकिस बानो केस

 

3 मार्च, 2002 को भीड़ द्वारा बिलकिस के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। यह घटना गोधरा कांड के बाद की है। जिस समय बिलकिस बानो के साथ बलात्कार हुआ था उस वक्त वो गर्भवती थी। भीड़ ने बिलकिस की 3 साल की बच्ची समेत कुल 14 लोगों की हत्या कर दी थी।

 

इस मामले में दोषी सभी आरोपियों को गुजरात सरकार ने ‘अच्छे व्यवहार’ के आधार पर छूट दे दी थी। गुजरात सरकार ने जेल एडवाइजरी कमेटी की सिफारिश का हवाला दिया था।

 

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