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केरल हाई कोर्ट बोला- आपत्तिजनक पोस्ट के लिए वॉट्सऐप एडमिन को नहीं ठहरा सकते जिम्मेदार l ऑनलाइन बुलेटिन

तिरुवनंतपुरम l (कोर्ट बुलेटिन) l अदालत में एडमिन के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम और आईटी अधिनियम के तहत दर्ज मामले की सुनवाई हुई। अदालत ने कहा कि ग्रुप के सदस्य द्वारा आपत्तिजनक पोस्ट के लिए एडमिन को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है। यानी कि किसी मेंबर की ओर से आपत्तिजनक कंटेंट पोस्ट करने पर वॉट्सऐप ग्रुप एडमिन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। एक वॉट्सऐप ग्रुप एडमिन की याचिका पर सुनवाई करते हुए केरल हाई कोर्ट ने आज यह फैसला सुनाया।

 

याचिकाकर्ता ने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर 2020 में ‘FRIENDS’ नाम से एक वॉट्सऐप ग्रुप बनाया था। मार्च 2020 में एक मेंबर ने नाबालिग बच्चों का अश्लील वीडियो क्लिप पोस्ट किया। बाद में आईटी अधिनियम 2000 और पोक्सो के तहत सभी एडमिन के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। याचिकाकर्ता को इस मामले में दूसरा आरोपी बनाया गया था। अदालत ने कहा कि एडमिन दूसरे सदस्यों को हटाने का अधिकार रखता है, लेकिन कोई सदस्य क्या पोस्ट कर रहा है, इस पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता के खिलाफ कार्रवाई रद्द कर दी।

 

‘सदस्य की आपत्तिजनक पोस्ट के लिए एडमिन उत्तरदायी नहीं’

 

जस्टिस कौसर एडप्पागथ की सिंगल बेंच ने फैसला सुनाया, “विकृत आपराधिक दायित्व केवल कानून के प्रावधान से तय किया जा सकता है, अन्यथा नहीं। विशेष दंडात्मक कानून के अभाव में वॉट्सऐप ग्रुप के एडमिन को सदस्य की ओर से आपत्तिजनक पोस्ट के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है। केवल निर्माता या प्रशासक की क्षमता में कार्य करना अपराध का आधार नहीं हो सकता है और एडमिन आईटी अधिनियम के तहत भी मध्यस्थ नहीं हो सकता है।”

 

2021 में मद्रास हाईकोर्ट ने भी ऐसा ही फैसला सुनाया

 

दिसंबर 2021 में मद्रास हाईकोर्ट ने भी ऐसा ही फैसला सुनाया था। अदालत ने कहा था कि किसी सदस्य की पोस्ट के लिए ग्रुप एडमिन को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। विभिन्न समुदायों के बीच दुश्मनी पैदा करने के इरादे से आपत्तिजनक मेल सर्कुलेट करने को लेकर FIR दर्ज हुई थी, जिसे लेकर कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।

 


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