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मेरिट के साथ आरक्षण भी जरूरी – सुप्रीम कोर्ट, नीट में ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए कोटा बरकरार | ऑनलाइन बुलेटिन

नई दिल्ली | (कोर्ट बुलेटिन) | सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) और ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से पिछड़े) लोगों के लिए मेडिकल की ऑल इंडिया पीजी सीटों पर 27 फीसदी और 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए हरी झंडी दे दी। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने एक महात्वपूर्ण टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि मेरिट के साथ आरक्षण भी दिया जा सकता है, इसे विरोधाभासी नहीं मानना चाहिए। सु्प्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि आरक्षण वितरणीय प्रभाव को आगे बढ़ाता है। उच्च अंक योग्यता एकमात्र मानदंड नहीं है।

 

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला देते हुए कहा कि प्रतियोगी परीक्षाएं आर्थिक सामाजिक लाभों को प्रदर्शित नहीं करतीं जो कुछ ही वर्गों को उपलब्ध है, मेरिट को सामाजिक रूप से प्रासंगिक बनाया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने कहा कि आरक्षण मेरिट का विरोधाभासी नहीं है। यह इसके वितरण प्रभाव को और बढ़ाता है। पीठ ने कहा कि जब किसी मामले में संवैधानिक व्याख्या शामिल होती है तो न्यायिक औचित्य अदालत को कोटा पर रोक लगाने की अनुमति नहीं दे सकते हैं।

 

नील ओर्लियंस के नेतृत्व में याचिकाकर्ताओं के एक समूह ने स्नात्कोत्तर पाठ्यक्रमों में मौजूदा शैषणिक सत्र से अखिल भारतीय कोटा में ओबीसी यानी पिछड़ा और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण को लागू करने के लिए केंद्र की 29 जुलाई 2021 की अधिसूचना को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था।

 

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए शीष अदालत ने कहा कि इस मामले पर न्यायिक हस्तक्षेप से इस वर्ष की प्रवेश प्रकिया में और देरी होगी। साथ मुकदमेबाजी का दौर शुरू हो जाएगा। शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा- हम अभी भी महामारी के बीच में हैं और मौजूदा वक्त में देश को डॉक्टरों की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि प्रदीप जैन के फैसले को अखिल भारतीय कोटा सीटों के संदर्भ में नहीं पढ़ा जा सकता है।

 

शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का तर्क था एआईक्यू में कोटा तक सीमित नहीं था बल्कि यह केंद्र सरकार द्वारा अपनाए गए मानदंडो पर भी था। इस पहलु पर विस्तृत सुनवाई पर बल देते हुए शीर्ष अदालत ने इस वर्ष मार्च माह में आगे की सुनवाई करने की बात कही।

 

8 लाख की आय सीमा पर विस्तार से करेंगे सुनवाई

 

पीठ कहा कि याचिकाकर्ता ने सिर्फ कोटा का मुद्दा ही नहीं उठाया है बल्कि केंद्र द्वारा ईडब्ल्यूएस के लिए सालाना आय 8 लाख रुपये तय करने के मानक का मुद्दा भी उठाया है। यह मामला व्यापक सुनवाई की मांग करता है, इसे मार्च में विस्तार से सुनेंगे। नील ओर्लियंस समेत कई लोगों ने केंद्र की उस अधिसूचना का विरोध किया है कि जिसमें आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था।


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