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पत्नी को जिंदा दफनाने वाला स्वामी श्रद्धानंद पहुंचा सुप्रीम कोर्ट; बोला- राजीव गांधी के हत्यारे छोड़े, मुझे भी रिहा करो, वरना गैरबराबरी होगी | ऑनलाइन बुलेटिन

नई दिल्ली | [कोर्ट बुलेटिन] | सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राजीव गांधी के हत्यारों को पिछले दिनों जेल से रिहा कर दिया गया था। अब उस फैसले के आधार पर अन्य कैदी भी ऐसी ही मांग कर सकते हैं। इसकी शुरुआत पत्नी की हत्या में उम्रकैद की सजा काट रहा स्वामी श्रद्धानंद ने कर दी है। श्रद्धानंद ने अदालत में अर्जी दाखिल कर समानता के अधिकार का हवाला देते हुए रिहाई की मांग की है।

 

श्रद्धानंद के वकील ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के समक्ष कहा कि स्वामी श्रद्धानंद लगातार 29 साल से जेल के अंदर बंद है। उसे एक बार फिर पेरोल पर बाहर निकलने का मौका नहीं मिला है।

 

वकील ने अदालत में तर्क दिया कि पूर्व प्रधानमंत्री समेत 16 लोगों के हत्यारों को 30 साल की सजा काटने के बाद रिहा किया गया है। इस दौरान उन्हें कई बार पेरोल भी मिली थी। इस घटना में 43 लोग जख्मी भी हुए थे। इतनी बड़ी घटना को अंजाम देने वालों को रिहा कर दिया गया है।

 

उन्होंने कहा कि समानता के अधिकार के उल्लंघन का यह क्लासिकल केस है। बेंच ने स्वामी श्रद्धानंद की अर्जी पर जल्द सुनवाई की मांग को स्वीकार कर लिया है। वकील वरुण ठाकुर ने कहा कि स्वामी श्रद्धानंद की उम्र 80 साल से ज्यादा है और वह मार्च 1994 से ही जेल में हैं।

 

कौन है स्वामी श्रद्धानंद, जिसने पत्नी का किया था बेरहमी से कत्ल

 

श्रद्धानंद ने अपनी अर्जी में कहा कि मैंने 2014 में पेरोल के लिए अप्लाई किया था, लेकिन अब तक उस पर भी कोई फैसला नहीं हो सका है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 नवंबर को आदेश दिया था कि राजीव गांधी के हत्यारों नलिनी, मुरुगन, रविचंद्रन, जयकुमार, संथन और रॉबर्ट पियस को रिहा कर दिया जाए। इसके बाद ही स्वामी श्रद्धानंद ने अर्जी डाली है।

 

स्वामी श्रद्धानंद पर संपत्ति के लिए पत्नी की हत्या करने का आरोप है। मैसूर के दीवान सर मिर्जा इस्माइल की पोती शाकेरेह ने 1986 में श्रद्धानंद से शादी की थी। 21 साल की शादी के बाद अकबर खलीली को शाकेरेह ने तलाक दिया था और फिर श्रद्धानंद से शादी रचाई थी। अकबर खलील ऑस्ट्रेलिया और ईरान में भारत के राजदूत थे।

 

600 करोड़ की दौलत के लिए किया था पत्नी का कत्ल

 

श्रद्धानंद ने पत्नी को नशे की हालत में 1991 में जिंदा दफना दिया था। 20 अप्रैल, 1994 को श्रद्धानंद को अरेस्ट किया गया था और उसकी पत्नी का कंकाल खोद निकाला गया था। 2000 में ट्रायल कोर्ट ने उसे फांसी की सजा दी थी।

 

2005 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी इस सजा को बरकरार रखा था। हालांकि 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने इस सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। श्रद्धानंद ने पत्नी की 600 करोड़ रुपये की संपत्ति हासिल करने के लिए उसका कत्ल कर दिया था।

 

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