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लागू होगी समान शिक्षा प्रणाली?, दिल्ली हाईकोर्ट ने जनहित याचिका पर केन्द्र व ‘आप’ सरकार से मांगा जवाब | ऑनलाइन बुलेटिन

नई दिल्ली | [कोर्ट बुलेटिन] | Uniform Education System (दिल्ली हाईकोर्ट ने एक समान शिक्षा प्रणाली) को लागू करने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को केन्द्र सरकार व दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि समान पाठ्यक्रम सभी के लिए जरूरी है क्योंकि बच्चों के अधिकारों को केवल मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा तक ही सीमित नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि पर भेदभाव के बिना समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक बढ़ाया जाना चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई 30 अगस्त को होगी। इस बाबत दाखिल की गई याचिका में कक्षा 12वीं तक के छात्रों के लिए मातृभाषा में एक समान पाठ्यक्रम लागू करने की मांग की गई है।

 

कार्यवाहक न्यायमूर्ति विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली बेंच ने वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) और भारतीय स्कूल प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद (सीआईएससीई) से भी जवाब मांगा है।

 

बेंच ने कहा कि काउंटर हलफनामे में उस नीति को प्रतिबिंबित करना चाहिए जिसे प्रतिवादी ने अपनाया है और सुप्रीम कोर्ट के फैसले (सामान्य पाठ्यक्रम पर) के आलोक में अपनाने का प्रस्ताव है।

 

याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि सीबीएसई, आईएससीई और राज्य बोर्ड के अलग-अलग पाठ्यक्रम संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 21, 21 ए के विपरीत हैं और शिक्षा का अधिकार के अंतर्गत समान शिक्षा का अधिकार भी आता है।

 

याचिका में कहा गया है कि जेईई, बीआईटीएसएटी, नीट, मैट, नेट, एनडीए, सीयू-सीईटी,क्लैट, एआईएलईटी, एसईटी, केवीपीवाई, एनईएसटी, पीओ, एससीआरए, एनआईएफटी,एआईईईडी, एनएटीए और सीईपीटी आदि के जरिए होने वाली सभी प्रवेश परीक्षाओं में पाठ्यक्रम समान हैं, लेकिन सीबीएसई, आईसीएसई तथा राज्य बोर्ड के पाठ्यक्रम एकदम भिन्न हैं, इसलिए छात्रों को अनुच्छेद 14-16 की भावना के अनुरूप समान अवसर नहीं मिलते हैं।

 

याचिका में कहा गया है कि मातृभाषा में एक सामान्य पाठ्यक्रम लागू होना चाहिए। इस तरह की शिक्षा न केवल असमानता और भेदभावपूर्ण मूल्यों को दूर करेगी बल्कि गुणों को भी बढ़ाएगी और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करेगी, विचारों को ऊंचा करेगी, जो समान समाज के संवैधानिक लक्ष्य को आगे बढ़ाते हैं।

 

हालांकि, याचिकाकर्ता ने यह आरोप लगाया है कि स्कूल माफिया ”वन नेशन-वन एजुकेशन बोर्ड” नहीं चाहते हैं, कोचिंग माफिया ”वन नेशन-वन सिलेबस” नहीं चाहते हैं और बुक माफिया सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें नहीं चाहते हैं।

 

 

याचिकाकर्ता ने कहा है कि समान पाठ्यक्रम सभी के लिए जरूरी है क्योंकि बच्चों के अधिकारों को केवल मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा तक ही सीमित नहीं रखा जाना चाहिए, बल्कि सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि पर भेदभाव के बिना समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक बढ़ाया जाना चाहिए। इस मामले की अगली सुनवाई 30 अगस्त को होगी।

 


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