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उरांव जनजाति की बेटियां पैतृक संपत्ति की हकदार, दूसरी अपील में एक बेटी को झारखंड में मिला उसका हक | ऑनलाइन बुलेटिन

रांची | [कोर्ट बुलेटिन] | संपत्ति में हकदार नहीं होने का दावा साबित नहीं हो सका । ऐसे में झारखंड हाईकोर्ट ने बेटियों के पक्ष में एक बड़ा और महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। उरांव जनजाति की बेटियां अब अपनी पैतृक संपत्ति की हकदार होंगी। इस मामले में 22 फरवरी को अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

 

प्रार्थी प्रभा मिंज ने पैतृक संपत्ति में हिस्सा के लिए रांची की निचली अदालत में याचिका दायर की थी। निचली अदालत ने यह कहते हुए याचिका खारिज कर दी कि कस्टमरी लॉ के अनुसार उरांव जनजाति की बेटियों को पैतृक संपत्ति में हिस्सा देने का प्रावधान सही नहीं है। प्रार्थी ने हाइकोर्ट में फर्स्ट अपील की। फर्स्ट अपील में अदालत ने निचली अदालत के आदेश को सही बताया।

 

प्रभा मिंज उस फैसले से निराश नहीं हुई। उसने सेकेंड अपील की। इसपर सुनवाई के बाद जस्टिस गौतम चौधरी की अदालत ने कहा कि कोई पक्ष यह साबित करने में सफल नहीं रहा कि कस्टमरी लॉ में उरांव जनजाति की बेटियों का पैतृक संपत्ति में हक नहीं है। ऐसी स्थिति में उरांव जनजाति की बेटियों को पैतृक संपत्ति में हक मिलेगा और वह इसकी हकदार हैं।

 

 

 


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