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सेना के जवान द्वारा किए गए एसिड अटैक से 80 फीसदी झुलस गया था शरीर, अब BF से की शादी, पढ़ें प्रमोदिनी की यह कहानी | newsforum

भुवनेश्वर |  भारतीय सेना के जवान संतोष वेदांत कुमार द्वारा किए गए एसिड अटैक ने उसके चेहरे को पूरी तरह से झुलसा दिया और दोनों आंखें भी छीन लीं। एसिड अटैक से चेहरा इस कदर खराब हो गया कि खुद को अभी आईने में देख पाना मुनासिब नहीं था। एसिड अटैक से न ही सिर्फ उसका शरीर बुरी तरह से जल गया, बल्कि आधा हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया। इन सबके बावजूद ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले में रहने वाली 29 वर्षीय युवती प्रमोदिनी उर्फ रानी के हौसले में कोई कमी नहीं आई। उसने अपने पैरों पर फिर से खड़े होने के लिए पूरी ताकत लगा दी और उसे ऐसा करने से कोई रोक भी नहीं सका। प्रमोदिनी ने सोमवार को लंबे समय से बॉयफ्रेंड रहे सरोज साहू के साथ शादी कर ली।

 

जगतसिंहपुर के कनकपुर गांव में शादी के बंधन में बंधने के बाद प्रमोदिनी ने कहा, “यह मेरे जीवन का सबसे अच्छा दिन है। एक ऐसे समाज में जहां लड़की के चेहरे को शादी के लिए अधिक महत्व दिया जाता है, मैं इसके बारे में सपने में भी नहीं सोच सकती थी। मैं अपने परिवार और अपने प्रेमी के परिवार की सहमति से शादी करना चाहती थी और ऐसा ही हुआ।”

 

मां की तीन बेटियों में से एक प्रमोदिनी 2009 में एक कॉलेज में अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई कर रही थी, तभी सेना के जवान संतोष वेदांत कुमार ने उससे शादी करने के लिए इच्छा जताई। इस प्रस्ताव पर प्रमोदिनी के सहमत न होने की वजह से उसने उसके चेहरे पर तेजाब फेंक दिया। उसके कॉलेज के पास एक आर्मी कैंप चल रहा था जब सेना का जवान संतोष वेदांत कुमार ने प्रमोदिनी को देखा था और उसी दौरान उसे शादी का प्रस्ताव भेज दिया। हालांकि, शादी करने से परिवार ने भी मना कर दिया, क्योंकि उसकी उम्र बहुत कम थी और वह पढ़ाई करना जारी रखना चाहती थी।

 

इसके बाद, संतोष वेदांत कुमार ने उसका पीछा करना जारी रखा और 4 मई, 2009 को प्रमोदिनी के चेहरे पर तेजाब फेंक दिया, जिससे उसके शरीर का 80 फीसदी हिस्सा जल गया। एसिड अटैक से न ही सिर्फ उसका शरीर बुरी तरह से जल गया, बल्कि आधा हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया। उस समय की घटना को याद करके प्रमोदिनी ने कुछ दिन पहले फेसबुक पर लिखा, ”मैं उस समय 17 साल की थी। मैं स्वतंत्र होने और अपने परिवार को सपोर्ट करने का सपना देखती थी लेकिन मेरे जीवन को बर्बाद कर दिया।” इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन साल 2012 में कोई सुराग नहीं मिलने का हवाला देते हुए पुलिस ने आरोपी संतोष वेदांत कुमार के खिलाफ मामले को बंद कर दिया। संतोष और उसकी पत्नी अपने बेटे के साथ उस समय कुपवाड़ा में रह रहे थे। घटना के बाद प्रमोदिनी अपने घर के पास स्थित एक अस्पताल में पांच साल तक रही।

 

साल 2014 में, भुवनेश्वर के बलकटी क्षेत्र के सरोज साहू की पहली बार प्रमोदिनी से मुलाकात हुई। नर्स साहू की दोस्त थी और उसी ने साहू को एसिड अटैक पीड़िता की समस्याओं को देखने के लिए आमंत्रित किया था। हालांकि, साहू ने उससे बात करने की कोशिश की, लेकिन प्रमोदिनी ने कोई ज्यादा जवाब नहीं दिया क्योंकि वह उस घटना की वजह से काफी डर गई थी। उसने लिखा, ”इस वजह से उसने मां से बात की। मैं देख नहीं सकती थी, लेकिन जब भी मां की बातचीत सुनती तो समझ जाती कि वह सरोज ही है। मैंने वास्तव में उसकी सराहना की। फूफाजी ने मदद करने से इनकार कर दिया। यहां तक कि कई बार जब भी वह घर आए तो उन्होंने कहा कि इंजेक्शन देकर मार दो उसे। उन्होंने मेरे मुंह पर ही ऐसा कहा। उनके लिए मैं पहले ही मर चुकी थी। हर रात, मैं मरने के लिए प्रार्थना करती थी। मेरे पास कोई भी सपने नहीं थे। मैं हंसना भूल चुकी थी। मेरी नर्स दोस्त और सरोज हमारी मदद की, लेकिन हम सिर्फ उनसे पैसे नहीं ले सकते थे।”

 

प्रमोदिनी ने आगे लिखा, ”एक बार, मां दूर थीं और मैंने बिस्तर पर पेशाब कर दिया। बिना किसी हिचकिचाहट के, उसने (सरोज) उसे साफ कर दिया। मैंने उसे गले लगाया और खूब रोई। मैंने उससे पूछा कि तुम यह सब क्यों कर रहे हो? और उसने बस जवाब दिया कि हर काम के पीछे कोई वजह नहीं होती है। मैंने उस दिन महसूस किया कि काश मैं उसे देख पाती। मैंने उसके चेहरे को छुआ और उसे समझने की कोशिश करती रही।” इसके बाद, साहू ने उसका ख्याल रखने के लिए अपनी नौकरी तक छोड़ दी। ठीक होने के बाद, प्रमोदिनी ने लखनऊ 2015 में एसिड पीड़िताओं के लिए बनाए गए शिरोज कैफे को ज्वाइन कर लिया। साहू ने भी शिरोज कैफे ज्वाइन किया।

 

इसके बाद एक बार फिर से सोशल मीडिया पर एसिड अटैक का मामला उछला और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने युवती से मुलाकात कर केस की फिर से जांच करने का आदेश दिया। संतोष को साल 2017 में गिरफ्तार कर लिया गया, जिसके बाद से वह जेल में बंद है। प्रमोदिनी ने फेसबुक पर आगे लिखा, ”यह बहुत अजीब सा है कि दो युवकों ने मेरी जिदंगी बदल दी। एक वर्दी वाले शख्स जिसने ‘स्वयं से पहले सेवा’ की शपथ ली थी और लड़की से न नहीं सुन सका तो वहीं, एक दूसरा शख्स जिसने कमजोर अवस्था में लड़की को देखा और उसका सबसे बड़ा सहारा बन गया।”


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