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गहलोत ने कहा- ओल्ड पेंशन स्कीम पर कर्मचारी विरोधी रवैया स्पष्ट हो गया | ऑनलाइन बुलेटिन

सिरोही | [राजस्थान बुलेटिन] | प्रदेश के यशश्वी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा एनपीएस को ओपीएस में बदलने के ऐतिहासिक निर्णय के बाद कर्मचारियों की कटौती बंद कर पीएफआरडीए में जमा उनकी राशि जीपीएफ में शिफ्ट करने के लिए केन्द्र सरकार को राज्य सरकार के वित्त विभाग ने केंद्र के अधीन आने वाली पेंशन निधि विनियामक और विकास प्राधिकरण ने एनपीएस के दायरे में आने वाले राज्यांश व कर्मचारियों के अंशदान का 39 हजार करोड रु. लौटाने से इनकार करने पर राजस्थान शिक्षक संघ (प्रगतिशील) के प्रदेश मुख्य महामंत्री धर्मेंद्र गहलोत ने कडी प्रतिक्रिया व्यक्त कर कर्मचारी विरोधी नीति का संगठन ने विरोध किया।

 

 

संगठन के मीडिया प्रवक्ता गुरुदीन वर्मा के अनुसार संघ (प्रगतिशील) के प्रदेश मुख्य महामंत्री धर्मेंद्र गहलोत ने केन्द्र सरकार पर कडी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि प्रदेश के साढे 5 लाख से ज्यादा कर्मचारियों के लिए ओपीएस लागू करने की सीएम अशोक गहलोत की ऐतिहासिक बजट घोषणा धरातल पर उतरने से पहले ही रोड़ा अटकाना शुरू कर दिया लेकिन मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा अप्रेल माह से लागू करने की घोषणा को अमलीजामा पहनाने की तीव्र गति से प्रक्रिया चलाकर एनपीएस में कर्मचारियों की कटौती बंद कर पीएफआरडीए में जमा उनकी राशि जीपीएफ में शिफ्ट करने की राज्य सरकार ने तैयारी पर केन्द्र सरकार द्वारा रौडा अटकाया जा रहा हैं। इसलिए कर्मचारियों ने जो अंशदान एनपीएस में दिया है।

 

राज्य सरकार उसे विड्रा करना चाहती है लेकिन पीएफआरडीए ने राज्यांश व कर्मचारी के अंश की जमा राशि को राज्य सरकार को लौटाने इन्कार करना कर्मचारियों के साथ कुठाराघात हैं। पीएफआरडीए की तरफ से यह राशि का 90 प्रतिशत हिस्सा सरकारी प्रतिभूतियों, बॉण्ड में तथा करीब 10 प्रतिशत हाई रिस्क स्टॉक्स में निवेश किया जाता है।

 

गहलोत सरकार की मंशा है कि यह राशि पीएफआरडीए कर्मचारियों को वापस लौटा दे जिससे यह राशि उनके जीपीएफ खातों में जमा हो सके। गहलोत सरकार ने बजट सत्र में एलान किया था कि राज्य सरकार के जो कर्मचारी एनपीएस में आते हैं, उन्हें ओपीएस का विकल्प दिया जायेगा। ऐसा करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य था।

 

गहलोत सरकार की इस घोषणा का कर्मचारियों ने जबरदस्त स्वागत किया था। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा देशभर में ओपीएस लागू करने की तरफ कदम तक नहीं उठाना, कर्मचारी विरोधी नीति की ओर इशारा करता है।सभी विवादों के बावजूद राज्य की गहलोत सरकार अधिसूचना जारी कर हर हाल में ओपीएस लागू करने में किसी भी तरह का कोई व्यवधान उत्पन्न नहीं होने देगी।


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