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गोवा के Uniform Civil Code में हिंदुओं को बहुविवाह की छूट, जानें क्या-क्या है यूसीसी प्रावधान | ऑनलाइन बुलेटिन

नई दिल्ली | [नेशनल बुलेटिन] | देश में एक बार फिर यूनिफॉर्म सिविल कोड (uniform civil code) की चर्चा जोर पकड़ रही है। उत्तराखंड ने तो यूसीसी तैयार करने के लिए कमिटी बनाने का भी ऐलान कर दिया है। कई भाजपा शासित प्रदेश यूनिफॉर्म सिविल कोड (uniform civil code) का समर्थन करते हैं। राज्य गोवा जैसा यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की बात करते हैं। हालांकि डेढ़ सौ साल से भी पुराने गोवा के कानून में कई ऐसी बातें हैं जो कि आज के कानून के उलट हैं। जैसे कि इस यूनिफॉर्म सिविल कोड (uniform civil code) में हिंदुओं को बहुविवाह की छूट दी गई है लेकिन मुस्लिमों को इजाजत नहीं है।

 

दरअसल यूनीफॉर्म सिविल कोड (uniform civil code) का मतलब होता है कि तलाक, विवाह, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे मामलों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसा कानीन होना। संविधान के अनुच्छेद 44 में भी इस बात की उम्मीद जताई गई थी कि भविष्य में समान नागरिक संहिता की जरूरत होगी।

 

फरवरी में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ऐलान किया था कि अगर पार्टी राज्य में चुनाव जीतती है तो समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। चुनाव जीतने के बाद उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड तैयार करने के लिए कमिटी बनाने का भी ऐलान किया गया है।

 

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से केंद्र सरकार का जवाब मांगे जाने के बाद कई भाजपा शासित प्रदेशों ने यूनिफॉर्म सिविल कोड (uniform civil code) की वकालत की है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वासरमा ने शनिवार को कहा कि समान नागरिक संहिता से महिलाओं को उनके अधिकार मिलेंगे। कोई महिला नहीं चाहती है कि उसकी पति की 2 शादियां हों। जब भी राज्यों से उनके अपने यूनिफॉर्म सिविल कोड (uniform civil code) की बात की जाती है तो वे गोवा का उदाहरण देते हैं। गोवा में 1869 से ही यूनिफॉर्म सिविल कोड (uniform civil code) लागू है और यह पुर्तगाली कानून है। आइए जानते हैं क्या है गोवा का यूसीसी…

 

गोवा में क्या है कानून?

 

1867 में पुर्तगालियों ने यूनिफॉर्म सिविल कोड बनाया था और इसके बाद इसे अपने उपनिवेशों में भी लागू कर दिया। गोवा में भी 1869 में इस कानून को लागू कर दिया गया। इस कानून के तहत शादी का रजिस्ट्रेशन सिविल अथॉरिटी के पास कराना जरूरी है। इसके तहत अगर तलाक होता है तो महिला भी पति कि हर संपत्ति में आधी की हकदार है। इसके अलावा पैरंट्स को अपनी कम से कम आधी संपत्ति का मालिक अपने बच्चों को बनाना होगा जिसमें बेटियां भी शामिल होंगी।

 

गोवा लॉ कमिशन की पूर्व सदस्य ऐडवोकेट क्लियोफाटो अलमेदा के मुताबिक गोद लेने और शादी को लेकर इसमें पूरी तरह से एकरूपता नहीं है। पुर्तगाली सिविल कोड गोवा और दमन दीव में लागू है। समझौते के मुताबिक गोवा की आजादी के समय कहा गया था कि जब तक किसी कंपीटेंट अथॉरिटी द्वारा इस कानून को रीप्लेस नहीं किया जाता, यह लागू रहेगा। अब हाल यह है कि पुर्तगाल में यह कानून हट गया है लेकिन गोवा में लागू है। पुर्तगाल में साल 1966 में ही नया सिविल कोड लागू कर दिया गया था।

 

हिंदुओं को बहुविवाह की छूट

 

इस यूनिफॉर्म सिविल कोड में मुस्लमों को बहुविवाह की इजाजत नहीं दी गई है लेकिन हिंदुओं को विशेष परिस्थिति में इसकी छूट दी गई है। अगर किसी हिंदू की पत्नी 21 साल की उम्र तक किसी बच्चे को जन्म नहीं देती है या फिर 30 की उम्र तक लड़के को जन्म नहीं देती है तो वह दूसरा विवाह कर सकता है। इस मुद्दे को असदुद्दीन ओवैसी ने भी उठाया था और कहा था कि गोवा में हिंदुओं को भी कई शादियां करने की छूट है।

 

 


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