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मध्य प्रदेश के नेता विपक्ष पद से कमलनाथ का इस्तीफा, सोनिया गांधी ने 7 बार के विधायक गोविंद सिंह को दी कमान | ऑनलाइन बुलेटिन

भोपाल | [मध्य प्रदेश बुलेटिन] | विधानसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने बड़ा और अहम फैसला लिया है। उनके इस फैसले के बाद से सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है। राजनीतिक पंडित अपने अपने तरीकों से इस उलटफेर के मायने निकाल रहे हैं तो कई इसे आने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी का बड़ा कदम करार दे रहे हैं। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि पार्टी के इस कदम से कांग्रेस और मजबूत होगी और आने वाले चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने की भी उम्मीद जताई है।

 

मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने चुनाव के पहले बड़ा फैसला लिया है और कमलनाथ ने नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। वरिष्ठ विधायक डॉ. गोविंद सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। वे 7 बार के विधायक हैं और लंबे समय से उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के लिए मांग चल रही थी।

 

मध्य प्रदेश में कांग्रेस में एक व्यक्ति एक पद के सिद्धांत पर बड़ा फैसला किया है। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव मुकुल वासनिक के हस्ताक्षर से आज डॉ. गोविंद सिंह के नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति के आदेश जारी किए गए। इसमें बताया गया है कि कमलनाथ ने इस पद से इस्तीफा दे दिया है जिसे स्वीकार कर लिया है। वासनिक ने नेता प्रतिपक्ष के रूप में कमलनाथ के योगदान की सराहना की है। डॉ. गोविंद सिंह के नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने के मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है।

 

सातवीं बार के विधायक डॉ. गोविंद सिंह

 

डॉ. गोविंद सिंह भिंड जिले की लहार विधानसभा सीट से विधायक हैं। वे लगातार सातवीं बार विधायक चुनकर आए हैं। उन्होंने सत्तर के दशक से छात्र राजनीति से अपनी शुरुआत की थी और शासकीय आयुर्वेदी कॉलेज जबलपुर के छात्रसंघ के अध्यक्ष चुने गए थे। इसके बाद वे सहकारिता क्षेत्र में सक्रिय हो गए। 1985 में भिंड नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष बने। 1990 में पहली बार विधायक चुने गए।


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