पावर फाइनेंस को महारत्न का दर्जा, पढ़ें क्या कुछ बदल जाएगा कंपनी में l Onlinebulletin
नई दिल्ली l भारत सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र की पीएफसी (पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन) को महारत्न का दर्जा दे दिया है। भारत सरकार के इस कदम से कंपनी की वित्तीय और परिचालन स्वायत्तता के साथ कुशलता बढ़ेगी। पावर फाइनेंस ने एक बयान में ये जानकारी दी है।
1986 में हुआ था गठन
पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन का गठन 1986 में हुआ था। यह बिजली क्षेत्र के लिये बुनियादी ढांचा वित्तपोषण प्रदान करने वाली सबसे बड़ी कंपनी है। महारत्न का दर्जा मिलने से कंपनी के निदेशक मंडल के पास वित्तीय निर्णय का दायरा बढ़ जाएगा। महारत्न कंपनी का निदेशक मंडल वित्तीय संयुक्त उद्यम और पूर्ण अनुषंगी इकाइयों को लेकर इक्विटी निवेश का फैसला कर सकता है।
इसके साथ ही देश और विदेश में विलय और अधिग्रहण का निर्णय कर सकता है। हालांकि, इसके लिये सीमा संबंधित कंपनी के नेटवर्थ के 15 प्रतिशत तक सीमित है। यह एक परियोजना में अधिकतम 5,000 करोड़ रुपये तक हो सकता है। साथ ही निदेशक मंडल मानव संसाधन प्रबंधन और प्रशिक्षण से संबंधित योजनाओं का क्रियान्वयन कर सकता है। वे प्रौद्योगिकी के स्तर पर ज्वाइंट वेंचर या रणनीतिक गठबंधन से जुड़ सकते हैं।
केंद्रीय बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने पीएफसी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि पीएफसी को महारत्न का दर्जा बताता है कि भारत सरकार को बिजली क्षेत्र के संपूर्ण विकास में कंपनी की रणनीतिक भूमिका को लेकर पूरा भरोसा है। पीएफसी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक आर एस ढिल्लन ने कहा कि कंपनी का पिछले तीन साल में वित्तीय प्रदर्शन शानदार रहा है और इसी कारण उसे महारत्न का दर्जा मिला है।