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सरकार ने लोकसभा में बताया; भारत में 15 साल से कम उम्र के बच्चों का कब होगा टीकाकरण l ऑनलाइन बुलेटिन

नई दिल्ली l (नेशनल बुलेटिन) l देश में कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई अभी जारी है। भारत में 15 साल और उससे ज्यादा के बच्चों को कोविड-19 के खिलाफ लड़ने वाली वैक्सीन लगाई जा रही है। अब भारत सरकार ने बताया है कि 15 साल के कम उम्र के बच्चों का टीकाकरण कब होगा। लोकसभा में भारत सरकार ने बताया कि National Technical Advisory Group on Immunisation (NTAGI) की सिफारिशों के बाद इसपर कोई फैसला लिया जाएगा।

 

शुक्रवार को सरकार की तरफ से संसद को बताया गया कि प्रीकॉशन डोज अभी आगे किसी अन्य को दिया जाएगा या नहीं इससे संबंधित योग्य लाभुकों की सूची और 15 साल के कम उम्र के बच्चों के वैक्सीनेशन पर फैसला एनटीएजीआई की सिफारिशों पर ही लिया जाएगा। एक सवाल के जवाब में स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने लोकसभा में लिखित तौर से बताया कि 15-18 साल के बच्चों में वायरल रोग के खिलाफ टीकाकरण 3 जनवरी से शुरू हुआ। इसमें गांव और रिमोट एरिया में भी शामिल हैं।

 

1 फरवरी तक इस उम्र के करीब 4.66 करोड़ बच्चों को वैक्सीन दी गई है। अनुमान के मुताबिक इस उम्र की कुल आबादी 7.4 करोड़ है। इस उम्र की 63 फीसदी आबादी को वैक्सीन की पहली डोज दी गई है। इसके अलावा 3.59 लाख बच्चों को वैक्सीन की दूसरी डोज भी दी गई है। देश में 12 साल के उम्र के बच्चों को आपातकालीन स्थिति में एंटी कोरोना वैक्सीन देने की मजूरी दी गई है।

 

इसके लिए भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और जाइडस कैडिला की ZyCoV-D को इजाजत दी गई है। हेल्थकेयर्स वर्कर, फ्रंटलाइन वर्क्स और 60 साल तथा उससे ज्यादा के उम्र के लोगों को प्रीकॉशन डोज देने की शुरुआत 10 जनवरी से हुई है। प्रीकॉशन डोज इनके अलावा किसी और को दिया जाएगा या नहीं और 15 साल से कम उम्र के बच्चों का टीकाकरण होगा या नहीं? इसपर फैसला एनटीएजीआई की सिफाऱिशों और वैज्ञानिक साक्ष्य के रिव्यू के बाद किया जाएगा।

 

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि कोविड-19 वैक्सीनेशन ड्राइव को लेकर राज्य और जिला स्तर पर लगातर समीक्षा की जा रही है। इस समीक्षा के जरिए विभिन्न चुनौतियों को समझने की कोशिश भी की जा रही है ताकि वक्त रहते उचित कदम उठाया जा सके।

 

संसद में जानकारी दी गई है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों से लगातार को-ऑर्डिनेट कर रहा है ताकि महामारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं के बेहतर किया जा सके। इसके अलावा दवाइय़ों और ऑक्सीजन की सप्लाई पर भी करीब से नजर रखी जा रही है ताकि कोई समस्या पैदा ना हो।


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