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खुदाई में जमीन के नीचे से मिली भारी-भरकम तिजोरी का तिलिस्म बरकरार, किन्नरों ने भी किया दावा | newsforum

कानपुर | सड़क चौड़ीकरण के दौरान खुदाई में एक भारी-भरकम तिजोरी मिली है। इस तिजोरी के मिलने के साथ ही अफवाहों का बाजार गर्म हो गया है। कुछ लोगों का कहना है कि इसमें रियासतकालीन खजाना हो तो कोई कुछ और कहता है। इस बीच यह तिजोरी जिस जगह से खुदाई के बाद बरामद की गई है उस जमीन के मालिक सहित वहां दुकानदारी कर रहे दुकानदार इसे अपना होने की बात कर रहे हैं। तिजोरी मिलने का मामला तब सुर्खियों में आया जब इस पर यहां के किन्नरों ने अपना दावा प्रस्तुत किया और पुलिस चौकी पहुंच कर पक्ष रखा।

 

तिजोरी पर गुरु गद्दी की होने का दावा

 

कानपुर जिले के मंधना में जीटीरोड चौड़ीकरण में एक दुकान की खुदाई से पुरानी तिजोरी निकलने के मामले में नया मोड़ आया है। किन्नरों ने तिजोरी पर गुरु गद्दी की होने का दावा किया है। किन्नरों ने पुलिस चौकी पहुंच कर पक्ष रखा। अब एसडीएम से मिलकर दावा पेश करेंगे। तिजोरी पर दावा कर रहे मकान मालिक और दुकान किराएदार ने अभी तक कोई लिखित दावा नहीं किया है।

 

तिजोरी निकलने के स्थान पर रहते थे किन्नर

 

मंधना निवासी मंगलामुखी शिवानी, शिवांगी, मारया दोपहर को कई लोगों के साथ मंधना पुलिस चौकी पहुंचे। किन्नरों ने तिजोरी गुरुगद्दी की होने का दावा पेश किया। किन्नरों ने तर्क दिया कि तिजोरी निकलने के स्थान पर काफी समय तक किन्नर रहते रहे हैं। यहां पर किन्नरों के गुरु की गद्दी थी। उस समय यहां पर कच्चे मकान थे। किन्नर गुरु बाद में यहां से चले गए। बाद में यहां पर दुकान बन गईं। किन्नरों ने तर्क दिया कि आज भी इस जगह से थोड़ी दूर पर किन्नरों का मकान है। किन्नर गुरु शांति यहां रहती थी। जिनके देहांत के बाद कई किन्नरों ने गद्दी सम्भाली। यह भी चर्चा है कि शांति की मृत्यु के पहले पहले तिजोरी वाले उस स्थान पर किन्नर ही रहते थे।

 

शांति गुरु रहती थी मकान में

 

किन्नरों ने दावा किया कि यह तिजोरी उनके पूर्वजों की है। किन्नर यह नहीं बता पाए कि इस तिजोरी में क्या सामान हो सकता है। शांति गुरु के पहले कौन गुरु यहां रहती थीं। कभी किसी किन्नर ने इस संबंध में चर्चा की या नहीं। किन्नरों ने तय किया है कि तिजोरी पर दावा एसडीएम सदर डॉ. बीएस लक्ष्मी से मिलकर पेश किया जाएगा।

 

लिखित प्रार्थना पत्र नहीं आया

 

तिजोरी पर परचून दुकानदार दिनेश त्रिवेदी ने तिजोरी पर अपना दावा किया था। दुकान मालिक महेश मिश्रा के बेटे अरुण मिश्रा ने अपना दावा किया है। दोनों ही तिजोरी की चाबी नहीं दे सके। दोनों ने मौखिक ही दावा किया है। किन्नरों के तर्क से उनका दावा भी मजबूत माना जा रहा है।

 

तर्क : डेरा कलाकार तिजोरी नहीं रखते

 

यह बात आई थी कि यहां पर लालमन नौटंकी मंडली के कलाकार ठहरते थे। उस दौरान गिरिजा और श्यामा नर्तकी यहां ठहरती थी। तर्क को लेकर यह सवाल भी उठे कि डेरा में आने वाले कलाकार तिजोरी नहीं रखेंगे। यह तिजोरी लंबे समय तक रहे किसी व्यक्ति की है। दावा मजबूत मान रहे है। बिठूर एसओ अमित मिश्रा ने बताया कि तिजोरी को अधिकारियों का आदेश मिलने पर ही खोला जाएगा।


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