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स्कूलों में भगवत गीता पढ़ानेसे आपत्ति नहीं लेकिन संविधान का क्या? बोले नेता प्रतिपक्ष सिद्धारमैया l ऑनलाइन बुलेटिन

बेंगलुरु | (कर्नाटक बुलेटिन) | राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और विस नेता प्रतिपक्ष सिद्धारमैया ने कहा कि उन्हें स्कूलों में भगवद गीता पढ़ाने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन हमारे धर्मनिरपेक्ष संविधान का क्या ? दरअसल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने शनिवार को स्कूलों में भगवद गीता को पेश करने की राज्य सरकार की योजनाओं का बचाव करते हुए कहा कि यह बयान नैतिक मूल्यों को प्रदान करता है।

 

बेंगलुरु में पत्रकारों से बात करते हुए सिद्धारमैया ने कहा: “मुझे भगवद गीता सिखाने में कोई आपत्ति नहीं है। चाहे वे भगवद गीता पढ़ाएं, कुरान या बाइबिल, हमें कोई आपत्ति नहीं है। हम चाहते हैं कि छात्रों को इस प्रतिस्पर्धी दुनिया में मांग को पूरा करने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले। छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। बच्चों को घर पर भी भगवद गीता, रामायण और महाभारत पढ़ाया जाता है। बच्चों को नैतिक शिक्षा देनी चाहिए।”

 

उन्होंने आगे कहा कि पार्टी संविधान और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करती है और किसी को भी संविधान के खिलाफ कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश एक बहुलवादी समाज में विश्वास करता है और हम सद्भाव और सहिष्णुता में विश्वास करते हैं।

 

इस मुद्दे पर पार्टी के राजनीतिक रुख के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि “कांग्रेस नरम और कठोर हिंदुत्व के लिए नहीं है। हम भी हिंदू धर्म को मानते हैं और देश में सभी धर्मों को सम्मान देते हैं… किसी भी धर्म के लोगों को सांप्रदायिक नहीं बनना चाहिए। हमें देश में सभी धर्मों का सम्मान करने की जरूरत है।”

 

गौरतलब है कि गुरुवार को गुजरात सरकार ने घोषणा की है कि शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से 700-श्लोक हिंदू ग्रंथ अब कक्षा 6-12 के लिए पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा। इसके बाद कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने भी कहा है कि राज्य सरकार प्रदेश की स्कूलों में भगवत गीता को शामिल करने पर फैसला लेने से पहले मुख्यमंत्री और शिक्षाविदों से चर्चा करेगी।


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