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फिजिक्स का फ्रीडमैन फॉर्मूला में ऐसा क्या है, जिसे हाथों में लेकर चीन में हो रहा बड़े स्तर पर आंदोलन; यहां समझें क्या है मामला | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

नई दिल्ली | [नेशनल बुलेटिन] | क्या कभी आपने सुना है कि किसी प्रोटेस्ट के दौरान ‘फिजिक्स का फॉर्मूला’ इस्तेमाल किया जा रहा है? अगर नहीं, तो आपको एक बार चीन में सख्त कोरोना प्रतिबंधों के खिलाफ जारी प्रदर्शन की तस्वीरों को देखना चाहिए। विरोध प्रदर्शनों के दौरान नारेबाजी, तोड़-फोड़ आम बात है लेकिन सोशल मीडिया पर सर्कुलेट हो रही तस्वीरों में बीजिंग की सिंहुआ यूनिवर्सिटी के छात्रों ने जो शीट्स पकड़ रखी हैं, उसके ऊपर फिजिक्स का यह फॉर्मूला लिखा हुआ है। फिजिक्स के इस फॉर्मूले को फ्रीडमैन इक्वैशंस कहते हैं।

 

अब इस बात को लेकर बहस छिड़ गई है कि आखिर फिजिक्स के फॉर्मूले का विरोध प्रदर्शन से क्या लेना-देना?

 

सोशल मीडिया पर इसको लेकर लोग तरह-तरह के अनुमान लगा रहे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि इसका अर्थ होता है ‘फ्री मैन’ यानी लोगों को आजाद करो। वहीं, एक अन्य अनुमान के मुताबिक इसका अर्थ चीन को खोलने से है क्योंकि फ्रीडमैन इक्वैशंस यूनिवर्स के विस्तार यानी खुलने से है।

 

क्या है फ्रीडमैन इक्वैशंस

 

फ्रीडमैन इक्वैशंस का नाम रूस के भौतिकशास्त्री फ्रीडमैन के नाम पर पड़ा है। यह फॉर्मूला यह दिखाता है कि ब्रह्मांड किस रफ्तार से फैल रहा है। असल में, फ्रीडमैन पहले भौतिकशास्त्री थे, जिन्होंने बताया था कि ब्रह्मांड फैल रहा है।

 

चीन के विरोध प्रदर्शनों में जो फॉर्मूला दिखाया जा रहा है, वह फर्स्ट फ्रीडमैन इक्वैशन का ही एक रूप है। इस फॉर्मूले के आधार पर वैज्ञानिक बता सकते हैं कि भविष्य में एक तय प्वॉइंट पर ब्रह्मांड कैसा दिखेगा या फिर बीते वर्षों में यह कैसा दिख रहा था।

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कैसे अस्तित्व में आया यह फॉर्मूला

 

फ्रीडमैन ने साल 1922 में यह फॉर्मूला दिया था। इसे अल्बर्ट आइंसटीन के 1915 थियरी ऑफ जनरल रिलेटिविटी से लिया गया था। हालांकि इसके जरिए आइंसटीन से इतर ढंग से ब्रह्मांड की पुर्नकल्पना की गई थी। जनरल थियरी में स्पेसटाइम के कांसेप्ट को बताती है और इसे ग्रेविटी से रिलेट करती है। आइंस्टीन के मुताबिक ब्रह्मांड में ऑब्जेक्ट्स स्पेसटाइम के कर्व को बदलते हैं।

 

साथ ही मास, स्पेसटाइम, ऊर्जा और गुरुत्वाकर्षण आदि वैरिएबल्स के बीच रिलेशन को बताया। लेकिन अगर यह थियरी एक स्थिर ब्रह्मांड में काम करती तो इसे एक फिक्स की जरूरत थी, जिसे आइंस्टीन ने फिजिकल क्वांटिटी के रूप में पेश किया और इसे कॉस्मोलॉजिकल कांसेंट का नाम दिया। यहां पर फ्रीडमैन अलग हैं।

 

उन्होंने जनरल थियरी का इस्तेमाल किया और बताया कि ब्रह्मांड का न तो फिक्स सेंटर है और न ही यह स्थिर है। यह समय के साथ अपना रूप बदलता है। इसी के साथ फ्रीडमैन इक्वैशंस सामने आए थे। इस इक्वैशन में एच एक्सपैंशन रेट है, जिसे हबल कांस्टैंट के रूप में जाना जाता है। अन्य वैरिएबल्स, क्वांटिटीज के बारे में बताते हैं-जैसे ग्रेविटेशनल कांस्टेंट, डेंसिटी और स्पीड ऑफ लाइट।

 

क्या है इसका महत्व

 

जनरल रिलेटिविटी कई मामलों में सफल रही। इसमें न्यूटन के गुरुत्वाकर्षण की फिर से पुष्टि और स्टारलाइट के झुकने की भविष्यवाणी शामिल थी। वहीं, अमेरिकी खगोल भौतिकीविद् और लेखक एथन सीगल के मुताबिक इसकी एकमात्र समस्या कॉस्मोलॉजिकल कांसेंट थी।

 

आइंस्टीन ने इसे ‘एड हॉक’ फिक्स के रूप में पेश किया था। सीगल ने 2018 में फोर्ब्स मैगजीन में अपने एक लेख में बताया कि ऐसा न होने की स्थित में स्टैटिक स्पेसटाइम की धारणा ब्रह्मांड को अपने आप में ध्वस्त कर देती।

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वहीं दूसरी तरफ सीगल ने फ्रीडमैन के इक्वैशंस के बारे में लिखा कि इनके मुताबिक ब्रह्मांड स्थिर नहीं है। यह या तो फैलते हैं या फिर सिकुड़ते हैं। खास बात यह है कि यह आपको बताते हैं कि ब्रह्मांड समय के साथ कैसे इवॉल्व होता है।

 

दिलचस्प बात यह है कि आइंस्टीन ने शुरू में फ्रीडमैन के इक्वैशंस की थियरी को नकार दिया था। उत्तरी कैरोलीना, विल्मिंगटन की वेबसाइट पर छपे एक पेपर के मुताबिक  उन्होंने कहा था कि यह एक मैथमेटिकल क्यूरियॉसिटी से ज्यादा कुछ नहीं।

 

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