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सांची स्तूप: विध्वंस काल में यहां के विशाल अशोक स्तंभ को सांची के जमीदार ने सिर्फ इसीलिए तोड़ दिया था कि उससे; गन्ने की पिराई के लिए रस निकालना था | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

डॉ. एम एल परिहार

©डॉ.एम एल परिहार

परिचय- जयपुर, राजस्थान


 

म्राट अशोक ने ई. पूर्व तीसरी सदी में सांची का विशाल स्तूप व धम्म प्रचार केंद्र बनवाया था. उसी दौरान यहां एक विशाल अशोक धम्म स्तम्भ का भी निर्माण कराया था. 42 फीट ऊंचे विशाल स्तंभ का निर्माण सांची से एक हजार कि.मी दूर मिर्जापुर (उ.प्र.) के चुनार बलुआ पत्थर से मंगवा कर बनवाया था.

कई महीनों की यात्रा में हाथियों की गाड़ियों द्वारा पत्थर मंगवाया था. सिर्फ एक पत्थर से बने इस विशाल स्तंभ की पॉलिश देखकर अंग्रेज भी चकित हो गए थे. और वह चमक आज भी कायम है. लेकिन आज यह अशोक स्तंभ के मुख्य स्तूप के पास टुकड़ों के रूप में अपनी दास्तान बयां कर रहा है.

 

इसी धम्म लिपि पर सम्राट अशोक ने लिखवाया था कि जो भिक्षु भिक्षुणी धम्म के विनय अनुशासन का पालन नहीं करेगा उन्हें सफेद वस्त्र पहना कर संघ से निष्कासित कर दिया जाएगा.

 

सांची स्तूप को जॉन टेलर ने खोजा, अलेक्जेंडर कनिंघम खुदाई करवाई खुदाई के दौरान यह विशाल स्तूप टूटी हुई अवस्था में मिला. इसके शिखर पर स्थित चार सिंह वाला भाग नीचे गिरा हुआ था जिसे वहां एक म्यूजियम बनाकर सुरक्षित रख दिया .

आज इस विशाल अशोक स्तंभ के ध्वस्त टुकड़ों को देखकर इसकी अदभुत शिल्प कला का सिर्फ अंदाजा लगाया जा सकता है कि सम्राट अशोक का बुद्ध धम्म और संघ के प्रति कितनी श्रद्धा और सम्मान था और विरोधियों ने कितनी घृणा के साथ धम्म के इस वैभवशाली इतिहास को ध्वस्त कर दिया.

 

   सबका मंगल हो..सभी प्राणी सुखी हो 

 

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