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सर जॉन मार्शल…आपने भगवान बुद्ध की धम्म विरासत और सम्राट अशोक की सांची का उत्खनन कर, पुनर्जीवित कर जगत पर बड़ा उपकार किया है. आप महान थे. हम आपके कृतज्ञ हैं | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

डॉ. एम एल परिहार

डॉ. एम एल परिहार

परिचय- जयपुर, राजस्थान 


 

  सात सौ साल तक सांची का पूरा क्षेत्र घने जंगल में दबा रहा. खजाने की खोज करने वाले और कुछ विरोधी शासकों ने स्तूपों, विहारों और प्रतिमाओं को बहुत नुकसान पहुंचाया. दुनिया को दिशा देने वाली यह विरासत इसी देश के कुछ की साजिश के कारण खंडहर में तब्दील हो गई.

 

सर जॉन मार्शल आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के डायरेक्टर जनरल थे. सर कोल के बाद इन्होंने 1912 से 1919 तक सांची के पुनरुद्धार का काम करवाया.

पूरे केन्द्र को फिर से वही स्वरूप देना बहुत मुश्किल काम था, लेकिन हार नहीं मानी. स्वयं से कई नक्शे बनाएं. इधर-उधर बिखरे पड़े शिल्प के छोटे बड़े एक एक पत्थर को बहुत श्रद्धा और करीने के साथ लगवाये.

 

साथ ही एक सुंदर म्यूजियम बनाकर महत्वपूर्ण प्रतिमा, अभिलेख, मुद्रा, भग्नावशेष आदि को सुरक्षित रखवाया.

सात साल तक चले उत्खनन और पुनरुद्धार के काम के दौरान लंबे समय तक जॉन मार्शल सांची में ही रहे. पहाड़ी की तलहटी में म्यूजियम के पास अपने लिए घर बनवाया. जो आज भी आपके महान योगदान की गौरव गाथा कह रहा है. इसमें आपके दैनिक जीवन और इतिहास सृजन की सामग्री दर्शन के लिए रखी हुई है.

 

आप 1934 तक भारत में रहे. फिर ब्रिटेन में ट्रांसफर हो गया. देश के गौरव और सच्चाई को सामने लाकर इतिहास की धारा बदल देने वाले ग्रेट आर्कियोलॉजिस्ट सर जॉन मार्शल का 1958 में ब्रिटेन में परिनिर्वाण हुआ.

सर जॉन मार्शल! आपने मोहनजोदड़ो, हड़प्पा, तक्षशिला, सांची जैसी अनेकों जगहों को जमीन से खोद कर बाहर निकाला, उजागर किया और दुनिया को मानव सभ्यता के गौरवशाली इतिहास को सूर्पूद कर हमेशा के लिए विदा हो गये. आप वाकई महान थे. हम सभी आपके कृतज्ञ हैं. कोटि कोटि वंदन..नमन..

धम्मपदं- अप्रमादी, ध्यानी, काम भोगों से दूर परमसुख पाता है | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन
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