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दीपावली दीपमाला | ऑनलाइन बुलेटिन

©मजीदबेग मुगल “शहज़ाद”

परिचय- वर्धा, महाराष्ट्र


 

रौशनाई चारों ओर दीप की माला है ।

भाई देखलो बस आस्था का उजाला है।।

 

दीपावली उजालों का पर्व शोर शराबा ।

वही तो बुरा कहेगा जिसका मन काला है।।

 

राम वनवास हुआ खत्म लौट आये घर को।

ये उसी की चमक सदा से देखा भाला है ।।

 

खुशियों का जमाना खुशियां बांटो यारों ।

ये और त्योहारों से बड़ा निराला है।।

 

मीठा मीठा नमकीनी और फल मेवे सबकुछ।

दोस्त पड़ोंसियों को बांटो आज निवाला है ।।

 

रात भी दिन सी लगे कारगुजारी ऐसी ।

उस के लिए सबकुछ जो सभी का रखवाला है।।

 

हर साल दीपावली साथ आती ये खुशहाली ।

भड़क न पाये दिल में नफरत की ज्वाला है ।।

 

दीपावली का इन्तेजार बहुत लगा साल ।

बच्चों के लिए यह मौका मीठा निवाला है ।।

 

‘शहज़ाद ‘सभी पर अपना प्यार लुटाते हो ।

यही प्यार वतन का बनेगा रखवाला है ।।

 

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