दीपावली | ऑनलाइन बुलेटिन
©मजीदबेग मुगल “शहज़ाद”
परिचय- वर्धा, महाराष्ट्र
दीपावली की खुशीया किसके झोली में है।
मंहगाई ने अर्मान जलाये होली में है ।।
महल में रहने के सिर्फ ख्वाॅब रहजायेंगे ।
ज़िन्दगी गुजारनी पड़ती एक खोली मे है।।
कर्जा भी एक बोझ होगया कितना फेडे।
व्याज बनकर उम्र भर आता टोली मे है।।
किसानों को पानी ने जर जर किया इस साल।
नये कपडो की जगह पैबंद लगा चोली मे है।।
त्यौहार अब दिन पर दिन मंहगाई पर जमें।
कंजूसी बच्चों की पेपरमिन्ट की गोली मे है।।
रंग बिरंगें पकवान अब इतिहास में जमा है ।
थोडा सही सब गरीबों के थाली मे है ।।
‘शहज़ाद ‘ हर त्यौहार देश का प्यारा है ।
देश की एकता तो प्रेम की झोली मे है ।।
ये भी पढ़ें: