बाज नहीं आते किसी को पटाने से | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन
©मजीदबेग मुगल “शहज़ाद”
कितना दर्द होता उनके जाने से ।
चेहरा देखकर जिते रहें वो बरसो ।
चेहरा निकल गया उनके खजाने से ।।
नुकसा सच है कहते यह दिल की बात ।
दर्दे दिल हो कम किसी को बताने से ।।
मजनु के जैसे उस्ताद हो बड़े मियां ।
बाज नहीं आते किसी को पटाने से ।।
हुस्न तो मिटने वाला एक दिन मिट्टी में ।
क्या फायदा भला उसको बचाने से ।।
चाहत में खलल जब पडे जीना मुहाल।
रोते रहें फायदा नहीं हंसाने से ।।
आशिकों के उस्ताद बने फिरते हैं ।
माशुक उठा लिये उनके ठिकानों से ।।
‘शहज़ाद ‘दिलबरों का सितारा गर्दीश में।
क्या मिलेगा भला उन्हें सताने से । ।
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