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डॉ अंबेडकर और आर्थिक चिंतन | ऑनलाइन बुलेटिन

©राजेश कुमार बौद्ध

परिचय-   प्रधान संपादक, प्रबुद्ध वैलफेयर सोसाइटी ऑफ उत्तर प्रदेश.


 

विश्व प्रसिद्ध नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन के अनुसार बाबा साहेब डॉ आंबेडकर अर्थशास्त्र के पिता थे। आजाद भारत में उनकी आर्थिक नीति के आधार पर बड़े बड़े विभिन्न प्रकार के इंड्रस्टी, प्लांट सरकारी स्तर पर स्थापित किये गए थे। भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना उनकी विश्व प्रसिद्ध शोध प्रॉब्लम ऑफ रूपी के आधार पर हुई थी। डॉ आंबेडकर के सुझाव पर ही ब्रिटिश भारत में गोल्ड स्टैंडर्ड की मुद्रा विनिमय प्रणाली लागू किया गया था। बाबासाहेब जैसा आज़ाद भारत में अब तक कोई अर्थशास्त्री पैदा नहीं हुआ।

 

भारत में गरीबी का कोई जबाब नहीं। यहाँ वर्गीय कारणों से नहीं, जातिगत अथवा जन्मगत कारणों से गरीबी है। इसलिए आर्थिक न्याय अथवा समानता के लिए भारत को डॉ अंबेडकर की सुझाव:-

 

  1. डेमोक्रेसी अपने आप में आर्थिक न्याय बहाल करने का शासन पद्धति है, परन्तु राजनीतिक लोकतंत्र के साथ सामाजिक और आर्थिक लोकतन्त्र लागू करने की ज़रूरत है।

 

  1. राज्य समाजवाद डॉ अंबेडकर के आर्थिक दर्शन का आईना है।

 

  1. राज्य-समाजवाद के अनुसार उत्पादन के सभी साधनों पर राज्य का स्वामित्व और नियंत्रण होता है। राज्य समाजवाद को संसदीय लोकतंत्र में संवैधानिक नियमन करना चाहिए।

 

  1. पूँजीववादी और व्यक्तिगत अर्थव्यवस्था देश के औद्योगिकरण में अक्षम है अतः औद्योगिक निजीकरण से आर्थिक गैरबराबरी बढ़ेगी।

 

  1. देश में डॉ अंबेडकर पहले स्टेट्समैन थे जिन्होंने बीमा के राष्ट्रीयकरण की बात सुझाई।

 

  1. कृषि को उद्योग का दर्जा दिया जाना चाहिए। क्योंकि भारत कृषि प्रधान देश है।

 

  1. खेती की सामूहिक फार्मिंग सिस्टम विकसित किया जाना चाहिए।

 

  1. भूमि पट्टा सिस्टम लागू किया जाना चाहिए ताकि न् कोई भूमिहीन रहे और न् ही कोई भूस्वामी।

 

  1. आर्थिक न्याय के लिए डॉ अंबेडकर ने संविधान के अनुच्छेद-36 से 48 में राज्य के नीतिनिर्देशक तत्व का प्रावधान किया है जो आर्थिक न्याय का प्रबल संवैधानिक हथियार है।

 

  1. संविधान में उपबन्धित मौलिक अधिकार भी राजनीतिक और सामाजिक न्याय के साथ आर्थिक न्याय की अवधारणा को मजबूत करता है।

 

  1. बजट का विशेष हिस्सा शिक्षा, जन-स्वास्थ्य, जलापूर्ति,ग्राम पंचायत, गावँ के खाली रकबे पर खर्च होने चाहिए।

 

  1. बजट गरीब को राहत देने वाला हो।

 

  1. बजट घाटे का नहीं बनाना चाहिए। बजट संतुलित, विश्वसनीय तथा राष्ट्रीय आय में बृद्धि करने वाला हो।

 

  1. डॉ अंबेडकर बिखरे खेतों की बजाय चकबन्दी के पक्षधर थे।

 

  1. राजस्व की निरंतरता तथा शराब को नियंत्रित करने के लिए शराब की राशनिंग पद्वति लागू किया जाना चाहिए।

 

  1. DVC बाबा साहेब के सुझाव और प्लानिंग पर बनी है। बाबा साहेब द्वारा उपबन्धित विभिन्न प्रकार के श्रम सुधार और श्रम कल्याणकारी योजनाएं आर्थिक न्याय का हिस्सा है।

 

  1. हड़ताल श्रमिकों का उसी प्रकार एक दैविक अधिकार है जिस प्रकार शासक वर्ग को स्वतंत्रता का अधिकार है।

 

  1. श्रमिकों को हड़ताल का अधिकार स्वतंत्रता का अधिकार है। पूंजीवाद श्रमिकों के लिए ब्राह्मणवाद की तरह ही दुश्मन है।

 

  1. जातिवादी अर्थव्यवस्था यानी वंशानुगत पेशा की बाध्यता और उसका महिमामंडन संविधान प्रदत स्वतंत्रता के अधिकार पर घातक प्रहार है।

 

  1. डॉ अंबेडकर आय के सभी स्रोतों पर संख्यानुपातिक प्रतिनिधित्व के जोरदार वक़ालत करते थे।

 

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