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क्रिकेट भद्रलोक का खेल है! धूर्तों हटो | ऑनलाइन बुलेटिन

के. विक्रम राव

©के. विक्रम राव, नई दिल्ली

-लेखक इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट (IFWJ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।


 

 

  दुबई में कल (4 सितम्बर 2022) रात जो था, वह खेल नहीं, उसका स्वांग था। दर्शक मंत्रमुग्ध थे, पुतलीनुमा। डोर थी ऐय्यारों के हाथ! तिलस्म का नजारा रहा। याद आ गए देवकीनन्दन खत्री, ‘‘चंद्रकांता‘‘ के रचयिता। इस मान्यता का आधारभूत कारण भी हैं। एक वैश्विक वित्तीय संस्था की रपट के अनुसार केवल इसी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट समिति के आयोजन में नौ अरब डॉलर की न्यूनतम आय मात्र मीडिया के भुगतान से होती है। आज भारत के अस्सी रूपये एक अमेरिकी डॉलर के बराबर हैं। बस ऐसी ही प्रवंचना के फलस्वरूप उच्चतम न्यायालय ने 14 मार्च 2019, फिर 20 दिसम्बर 2022 को क्रिकेट बोर्ड के मामलों में हस्तक्षेप किया था। वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस नरसिम्हन की अध्यक्षता में जांच समिति रची थी। सुधारवाले कदम उठाये थे। ऐसी ही फुटबाल नियंत्रक समिति के विषयों में भी किया गया।

 

यह आम बात हो गयी है कि जब भारत बनाम पाकिस्तान क्रिकेट मैच आयोजित होता है तो इतिहास, भूगोल, अर्थशास्त्र, सियासत आदि सभी टकराते हैं। नजारा एकदम वाघा सैनिक सीमावाला हो जाता है। कश्मीर दांव पर होता है।

 

ऐसा कल शाम को था। मैच प्रारम्भ होने के घंटो पूर्व ही मेरे दोनों लग्ते-जिगरों (बेटों) ने बता दिया था कि इस्लामी जम्हुरियाये पाकिस्तान जीतेगा। कारण कि पिछला मैच (रविवार, 28 अगस्त 2022) भारत जीता था। पूरा मामला दौलत से जुड़ा था। बल्कि खजाने से! मैं आस्थावान स्नान-पूजा कर टीवी के सामने बैठा कि मथुराधिपति नटवरलाल का जन्मस्थान तो छिन गया, क्रिकेट की जीत भी न छिन जाये। अपने दोनों सपूतों (बडका सुदेव, मुम्बई में प्रबंधन अधिकारी, तथा छुटका विश्वदेव लखनऊ में पत्रकार) को मैंने कोसा भी कि वे भारतद्रोही हो गये। हालांकि उन दोनों के दादा अंग्रेजों के और पिता इंदिरागांधी के विरोध में जेल में सजा भुगत चुकें हैं। पितामह गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी और पिता जेपी के लोकतंत्र प्रहरी रह चुके थे। दोनों सुदेव और विश्वदेव ज्योतिषी भी नहीं है। ताकि सितारों की चाल को भांप कर बता देते कि भारत की पराजय अवश्यांभी है। हालांकि उनके ताऊ श्री के. नारायण राव, I.A & A.S., भारत के उप-नियंत्रक और महालेखाधिकारी रहे तथा भारतीय विद्या भवन, नयी दिल्ली, में प्राच्य वैदिक ज्योतिष विभाग के संस्थापक और ‘‘जर्नल आफ एस्ट्रोलॉजी‘‘ के प्रधान संपादक हैं।

 

मगर ये दोनों ‘‘निष्णात‘‘ पुत्र मुझे, वरिष्ठ श्रमजीवी पत्रकार को, क्रिकेट की ज्यामिति और बीजगणित समझा रहे थे। मैं हूं करोड़ों सामान्य भारतीयों में एक आस्थावान नागरिक, जो जब तक गुनाह न सिद्ध हो जाये हर एक को आदतन निर्दोष ही मानता है।

 

अब इन तथ्यों पर गौर करेें तो आभास होता है कि कल रात जो कुछ दुबई के क्रीडांगन में घटा वह सर्फ पाउडर की भांति सफेद नहीं था। कुछ तो काला था। क्रिकेट बोर्ड के सचिव जय अमित शाह की मातृभाषा गुजराती में ‘‘झांसा‘‘ (बखड़जतंर) तो था। क्रमवार पड़ताल करें। तब खेल पिच पर टॉस हो रहा था। कप्तान रोहित शर्मा ने सिक्का उछाला। पाकिस्तानी कप्तान बाबर आजम ने टेल्स (चित) पुकारा। उधर कमेंट्री कक्ष में बैठे रवि शास्त्री ने ‘‘पट‘‘ (हेड) कह दिया। असमंजस की स्थिति उपजी। अंपायर एंडी पाईक्राफ्ट ने दुरूस्त किया। बाबर जीता। उसने गेंदबाजी का फैसला लिया। तभी जीत-हार की पटकथा लिख डाली गयी थी। अलबत्ता रवि शास्त्री को सोशल मीडिया पर आलोचना का सामना करना पड़ा। मगर कईयों को लगा सारी बातें तनिक भी सीधी साफ नहीं है।

 

आखिरी ओवर की पांचवी गेंद पर इफ्तिखार अहमद को दो रन बनाने थे। सरदार अर्शदीप सिंह की आखिरी दो गेंदें थी। वक्त की नजाकत को संजीदगी से समझाया गया, मगर वे दो रन बनने से रोक नहीं पाये। इफ्तिखार को सीधी गेंद डाल दी। उन्होंने एक ही बाल पर दौड़कर दो रन बनाकर विजय हासिल कर ली। तुर्रा यह है कि उनके कुल जमा स्कोर ही दो रन का था। अर्शदीप की बॉलिंग की गौरतलब बात थी कि अंतिम पांच ओवरों में पाकिस्तान को 47 रन चाहिये थे। कठिन तो था ही मगर 19वें ओवर में तो कम होकर केवल सात रन ही चाहिये थे। अर्शदीप ने आसिफ अली को एलबीडब्ल्यू कर दिया। एक खानापूर्ति कर दी। क्योंकि अठारहवें ओवर में एक निहायत सरल कैच रवि बिश्नोई के ओवर में आसिफ अली ने दिया था, अर्शदीप की हथेली में गेंद कैच हो गयी। फिर न जाने कैसे फिसल कर छूट गयी, पर लगा कि वह छूटा नहीं था, छोड़ दिया गया हो।

 

बाद में त्रासद-बोध से ग्रसित अर्शदीप ने सफाई पेश की। हालांकि तबतक कप्तान रोहित शर्मा ने उन हजारों दर्शकों के सामने आंखें तरेरा, गाल फुलाये। बोध करा दिया अर्शदीप को कि उनकी अक्षम्य खता थी। खेल का दारोमदार अर्शदीप पर था। उनकी भयंकर गलती से पाकिस्तान जीत गया। अर्शदीप को बाये बाजूवाले तेज गेंदबाज टी. नटराज की जगह रखा गया था। मगर यह कदम सरासर त्रुटिपूर्ण साबित हुआ। कैच छूटा अथवा छोड़ा ? जो भी सच्चाई हुयी हो, अर्शदीप की भूमिका पर विवाद चलता रहेगा। भुवनेश्वर ने उन्नीसवें ओवर में उन्नीस रन दिये। क्या वे सावधानी नहीं बरत सकते थे? किफायत करते ! कल पाकिस्तान की विजय बड़ी कठिन थी। साठ गेंदों पर 106 रन बनाने थे। भारत का शुरूआती औसत दस रन प्रति ओवर था। फिर भी भारत हारा! अर्शदीप की इस घातक हरकत की तुलना करें जब फख्रेजमां और खुर्शीद दौड़ते हुए भिड़ गये थे। मगर खुर्शीद ने गेंद लपक ली और भारतीय बल्लेबाज आउट हो ही गया।

 

अब विराट कोहली की श्लाधा हो। वे 36 गेंदों में अर्धशतक से हारते भारत के लिये तिनकेनुमा थे। वे अब अपनी पुरानी अदा में आ गये। पिछले मैच के हीरों हार्दिक पांड्या, जीरो थे इस बार। यह स्वाभाविक नहीं लगा।

 

पाकिस्तानियों ने अल्लहताला को ढेर सारा शुक्रिया दिया। आखिर सारे खिलाड़ी बार बार फलक की ओर बाहें उठाकर दुआयें जो मांगते मांग रहे थे। एशिया कप में पाकिस्तान चार बार भारत से हारा है। इस बार नहीं। किन्तु दौर अभी बाकी है।

 

इसी एशिया कप प्रतिस्पर्धा में भारत व पाकिस्तान का तीसरा और आखिरी मुकाबला, बल्कि जंग, होनी बाकी है। अर्थात अभी तक की गलतियों को भूलें और कोताहियों का सम्यक विश्लेषण हो। भारत की जीत 130 करोड़ जन की होती है।

 

 

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