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नन्हें बेसल की मशहूर दास्तां …| ऑनलाइन बुलेटिन

©के. विक्रम राव, नई दिल्ली

-लेखक इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट (IFWJ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।


 

पश्चिमोत्तर यूरोप में एक हिमाच्छादित हरित भूभाग है। नाम है बेसल (BASEL)। यह जर्मनी, फ्रांस तथा स्विट्जरलैण्ड सीमा से केवल दस किलोमीटर दूर है। तिकोने मोहाने पर। अतीव मनोरम है। सिर्फ 14 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में, नयी दिल्ली का एक तिहाई ! वामनाकार जैसा यह नगर (बस्ती कहना बेहतर होगा) विश्व की बैंकों (​Basel Rules के तहत) का नियमन करता है। वित्तीय प्रबंधन और पारदर्शी लेनदेन भी। द्वितीय विश्वयुद्ध में तीन चौथाई यूरोप पर हमला बोलने वाला नाजी जर्मनी का एडोल्फ हिटलर यहां नहीं घुसा था। यह क्षेत्र तटस्थ स्विजरलैण्ड का हिस्सा रहा। इसकी जनसंख्या की विशिष्टता यह है कि महिलायें अधिक हैं। ज्यादातर स्टेनोग्राफर। पुरुष कम हैं। कामदार हैं।

इसकी चर्चा इसलिये भी हुयी क्योंकि कल (25 अप्रैल 2022 ) नयी दिल्ली में नरेन्द्र मोदी तथा यूरोपीय आयोग (महासंघ) की अध्यक्षा श्रीमती उर्सुला वोन डेर लेयान में विशेष आर्थिक विषयों पर वार्ता हुयी। यूक्रेन—रुस युद्ध के कुप्रभावों की वजह से। आयात—निर्यात पर काफी हानिप्रद असर पड़ा है। श्रीमती लेयान ने वाणिज्य तथा नवाचार पर बात की। भारत—ईयू नातों पर भी। जर्मन सरकार में रक्षामंत्री रही, वे जनता पार्टी (पीपुल्स पार्टी) की नेता हैं। तीसरी सदी के इस शहर बेसल से वे जुड़ी रहीं। अर्थात छोटा सा यह कस्बा विश्व के संदर्भ में बड़ा अनजाना, अटपटा लगता है। मगर है बड़ा, चाहे नन्हा ही हो। बेसल में आश्रय पानेवालों में मशहूर मनौवैज्ञानिक कार्ल जुंग, होलैण्ड के दार्शनिक डेसिडेरियस एरास्मस, फ्रेडरिख नीत्से (हिटलरी चिंतन के प्रेरक) आदि रहे हैं। फिर विश्व का प्रथम ​वैश्विक यहूदी अधिवेशन भी यहीं 1897 में आयोजित हुआ था। बाद में नौ बार। यही पर यहूदी प्रजा के स्वाधीन राष्ट्र (इस्राइल) की मांग उठी थी जो 1946—47 में विश्व शक्तियों ने स्वीकारा और अरब भूमि को काटकर निर्मित किया। राष्ट्र का प्रथम प्राणीघर (जू) भी बेसल में बना था। यहां से दो सौ किलोमीटर दूर लौसान के अस्पताल में कमला नेहरु की टीबी से मृत्यु हुयी थी। पुत्री इंदिरा गांधी अंतिम क्षणों तक साथ थीं। यहां फिल्मस्टार चार्ली चैपलीन और जवाहरलाल नेहरु एक कार दुर्घटना में बाल—बाल बचे थे। यही ऐतिहासिकता है इस क्षेत्र की।

 

अधुना भारतीय बैंकों में तीन बेसल वाले नियमों का अनुपालन होता है : (1) न्यूनतम आवश्यक पूंजी का प्रतिशत आठ फीसदी होना चाहिये। (2) विनिमय की प्रक्रिया पारदर्शी हो तथा (3) बाजार में वांछित अनुशासन पूर्ण रुप से माना जाये। रिजर्व बैंक इनका पालन सुनिश्चित कराता है। इन नियमों को 1999 में भारतीय वित्तीय संस्थाओं ने स्वीकारा था।

 

बेसल की एक विशिष्टता भी हैं दुनिया के सीमावर्ती शहर तस्करी के लिये मशहूर है। मसलन भारत—पाक सीमा पर अटारी, म्यांमार (बर्मा बार्डर) पर मोइरंग, लांगतियल जनपद (मिजोरम) के जोरिंनपुल जो म्यांमार का प्रवेश द्वार है।

 

ऐसा ही है लिपुलेक दर्रा उत्तराखण्ड में। पर नेपाल का दावा उस पर है। यहां से तिब्बत का प्रवेशमार्ग है। पर यहां फौजी व्यवस्था इतनी कठोर है कि अवैध घुसपैठ संभव नहीं है।

 

तुलनात्मक लिहाज से बेसल दुनिया का एक विलक्षण इलाका है। यहां से आमजन हेतु कोई भी दस्तावेज (तीनों मुल्कों के लिये) दिखाना आवश्यक नहीं हैं। मगर भारत—पाक सीमा पर लखनऊवा पान दस गुना महंगा बिकता है, क्योंकि आवागमन ​जटिल है। मसलन केला यूरोप में सौ रुपये दर्जन है। वजह मुक्त व्यापार का अभाव।

 

यूरोपीय आयोग के भांति मोदी जी दक्षिण पूर्वी एशिया का संघ बनाये तो सभी चीजे आधे दामों पर मिलेंगी। इच्छाशक्ति चाहिये। भारतीय सीमाओं पर भी बेसल माफिक शहर बने तो किसानों और उत्पादकों को लाभ ही लाभ है। पर कब ? कौन करेगा ?


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