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पदोन्नति में आरक्षण बहाली लेटलतीफी से SC, ST वर्ग में आक्रोश, वर्तमान प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग | Newsforum

©विनोद कुमार कोशले, बिलासपुर, छत्तीसगढ़

परिचय : सामाजिक चिंतक व विश्लेषक, एट्रोसिटी एक्ट, सुप्रीम कोर्ट व हाइकोर्ट में आरक्षण मामले निर्णय के विश्लेषक, कोर मेंबर, सोशल जस्टिस एंड लीगल फाउंडेशन संगठन छत्तीसगढ़.


 

आरक्षण मामले के जानकार विनोद कुमार जी के मुताबिक छत्तीसगढ़ लोकसेवा पदोन्नति में आरक्षण 2003 के नियम 5 को प्रतिस्थापित कर अनुसूचित जाति 13 % संशोधन नोटिफिकेशन 22-10-2019 को जारी किया गया। उक्त नियम को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में आए फैसले एम नागराज मामले एवं जनरल सिंह मामले का हवाला देते हुए शासन को उचित जवाब देने व आरक्षण रोस्टर बिंदु अर्थात नियम 5 को स्टे प्रदान किया एवं राज्य शासन को सुप्रीम कोर्ट के शर्त अनुरूप नियम बनाने की बात कही। राज्य शासन ने कोर्ट के शर्तानुसार अनुसूचित जाति व जनजाति वर्गों के क्वांटिफायबल डेटा एकत्र करने मनोज कुमार पिंगुआ जी की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है। उक्त सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आलोक में अपर्याप्त प्रतिनिधित्व के आंकड़े, प्रशासनिक दक्षता व पिछड़ेपन की रिपोर्ट तैयार करने कमेटी कार्यशील है।

 

कोर्ट ने राज्य को कानुन सम्मत उचित कार्यवाही एवं प्रशासन को रेगुलर प्रमोशन के लिए  स्वतंत्रता प्रदान की। छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग को वर्तमान पदोन्नति के लिए स्पष्ट कोर्ट के आदेश को संदर्भित करते हुए गाइडलाइन जारी करने थे लेकिन विभाग ने कोर्ट के आदेश को ही पालनार्थ हेतु सारे विभागों को प्रेषित कर दिया। जबकि विभागीय दायित्वों का क्रियान्वयन आदेश सामान्य प्रशासन विभाग ही जारी करती है। इसके बाद विभाग प्रमुखों द्वारा पदोन्नति के लिए स्वीकृत सभी पदों अनरिजर्व बिंदु में भरना शुरू की दिया। सोजलिफ़ के मुताबिक अब तक 50,000 पदों से अधिक अररिजर्व बिंदु पर पदोन्नति हो गई है। बहुत सारे विभागों के उच्च पद केवल पदोन्नति से भरे जाते हैं। सभी पदों को गैर अनुसूचित जाति व जनजाति से भरने से अनुसूचित जाति व जनजाति के संवैधानिक अधिकारों का हनन हो रहा हैं। जबकि उच्च पदों में SC ST वर्गों का प्रतिनिधित्व नगण्य होने की बाते कही जा रही है।

 

आगे सोजलिफ़ कोर मेंबर विनोद कुमार ने बताया कि वर्तमान में मैरिट में जारी पदोन्नति में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा स्पष्ट दिशा-निर्देश का अभाव है। भारत के संविधान में उल्लेखित अनुच्छेद 16 (4) (क) अनुच्छेद 335 खत्म नहीं हुआ है। इस तरह सारे पदों को मैरिट में भरना पूर्णतः अवैधानिक है।

 

आगे कहा कि पावर कंपनीज में पदोन्नति की प्रक्रिया बाबत 4 बिन्दु में नियम बनाकर पदोन्नति प्रकिया जारी कर दी,जबकि नियम या सर्कुलर बनाने का अधिकार सामान्य प्रशासन विभाग का है। विद्युत विभाग केवल सामान्य प्रशासन विभाग के नियम के आधार पर परिपालन आदेश जारी करती है। सुप्रीम कोर्ट जनरैल प्रकरण मामले में आगामी सभी पदोन्नति यथास्थिति अर्थात रोक लगाया है। विद्युत विभाग के दर्जनों पदोन्नति लिस्ट में अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों वरिष्ठता को दरकिनार कर कनिष्ठ गैर अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग को पदोन्नति दे दी गई। भारत सरकार,सुप्रीम कोर्ट व सामान्य प्रशासन विभाग छ.ग. ने अपने विभिन्न आदेशो में स्पष्ट किया है कि अनारक्षित बिंदु पर यदि वरिष्ठता के आधार पर आरक्षित वर्ग के कंडीडेट का अंक वरिष्ठता एवं योग्यता के आधार पर सामान्य वर्ग के समान आता है तो उसे अनारक्षित वर्ग के विरूद्ध विचार किया जाएगा,बाद में उसे उसी वर्ग में समायोजित नहीं किया जाएगा। 1 वर्ष बीत जाने के बावजूद पूर्व में किए गए गलतियों का निराकरण के बगैर विद्युत विभाग मनमाने तरीके से पदोन्नति कर अनुसूचित जाति व जनजाति के संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रहे है। भारत सरकार अंतर्गत सभी शासकीय सेवाओ में भर्तियां सीधी भर्ती एवं पदोन्नति से होती है। और दोनों ही परिस्थितियों में रोस्टर बिंदु का पालन होता है। अर्थात प्रत्येक पदों के लिए रोस्टर रजिस्टर संधारित किया जाता है। वर्तमान में जारी पदोन्नति को शासन किस प्रकार रोस्टर रजिस्टर संधारित करेगी यह स्पष्ट नहीं है।

 

दिनांक 09.12.2019 से अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के लिए निर्धारित आरक्षण रोस्टर बिंदु पर रोक है। राज्य की सेवाओ के पदेा पर भर्ती नियम जारी करने की विभागीय जिम्मेदारी सामान्य प्रशासन विभाग की है। यदि सारे पदों को मैरिट में भर देंगे और पदोन्नति में आरक्षण बहाल हो जायेगी तो आने वाले समय में अनुसूचित जाति व जनजाति वर्गों के लिए पद नहीं बचेंगें। शासन इसकी भरपाई कैसे करेगीै।

 

सोशल जस्टिस लीगल सेल संगठन ने कहा कि यदि पदोन्नति देना अतिआवश्यक हो तो अनारक्षित बिंदु में पदोन्नति देते हुए आरक्षित रोस्टर बिंदु के पदों एवं बैकलाग पदों का सुरक्षित रखने सभी विभागों को पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया है लेकिन अब तक कोई पहल सामान्य प्रशासन विभाग एवं अन्य विभाग द्वारा कोई सुनवाई नहीं की जा रही है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गों के क्वांटिफायबल डेटा एकत्र करने कमेटी गठित हुए 10 माह हो गए है। अब तक कमेटी रिपोर्ट पूर्ण नहीं कर पाई है। जबकि पदोन्नति लगातार हो रही है।

 

राज्य के 45 % अनुसूचित जाति व जनजाति वर्गों में शासन द्वारा पदोन्नति विस्तार नियम बनाने में की जा रही लेटलतीफी से काफी नाराजगी है। कोरोना आपदा काल में भी थोक में अनरिजर्व बिंदु पर पदोन्नति दी जा रही है। लॉकडाउन के दौरान वर्तमान पदोन्नति के विरोध में सोशल मीडिया, ट्विटर व ई-मेल के माध्यम से SC, ST वर्ग के लोग भारी विरोध जता रहे हैं।

 


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