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पदोन्नति में आरक्षण को लेकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया व बीके हरिप्रसाद से मिला सोजलिफ़ का प्रतिनिधिमंडल | Newsforum

©विनोद कुमार कोशले, बिलासपुर, छत्तीसगढ़

परिचय : सुप्रीम कोर्ट व हइकोर्ट के फैसले के विश्लेषक में जानकार, सामाजिक चिंतक व विश्लेषक, कोर मेंबर, सोशल जस्टिस एंड लीगल फाउंडेशन संगठन छत्तीसगढ़.


 

रायपुर  | 117 वां संविधान संशोधन विधेयक 2012 लोकसभा में पारित करवाने एवं पदोन्नति में आरक्षण बहाली हेतु सोजलिफ़ का प्रतिनिधिमंडल विनोद कुमार कोशले के नेतृत्व में शैलेश, दिलेश्वर व लोकेश कुमार ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी पीएल पुनिया व पूर्व छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी बीके हरिप्रसाद राज्यसभा सांसद से दिल्ली उनके निवास पर मुलाकात किए।

सोजलिफ़ कोर मेंबर विनोद कुमार कोसले ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट एम नागराज फैसले 2006 व उत्तर प्रदेश मामले 2012 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद निर्बाध रूप से अनुसूचित जाति, जनजाति वर्गों को पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने 117 वां संविधान संशोधन बिल 2012 लाया गया। यह बिल पूर्ण बहुमत से राज्यसभा में पारित हो गया लेकिन 9 साल बीत जाने के बाद भी आज पर्यंत तक बिल लोकसभा में प्रस्तुत नहीं किया जा सका है। इसी क्रम में पुनिया व हरिप्रसाद से छत्तीसगढ़ में एससी-एसटी वर्गों को पदोन्नति में आरक्षण विस्तार करने हेतु सुप्रीम कोर्ट की शर्तों के अनुरूप गठित क्वांटिफायबल डेटा कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर परिणामी वरिष्ठता सहित पदोन्नति में विस्तार एक्ट पारित करने हेतु मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ से पहल करने बातचीत की।

 

कोर मेंबर शैलेश ने पुनिया व हरिप्रसाद को स्पष्ट कहा कि पिछले डेढ़ साल से मुख्यमंत्री के समक्ष अनुसूचित जाति, जनजाति वर्गों के अधिकारी कर्मचारी सामाजिक संगठन प्रमुख आवेदन निवेदन करते आ रहे हैं। अब तक मुख्यमंत्री की ओर से सकारात्मक जवाब नहीं मिला है। जबकि कमेटी डेटा एकत्र कर ली है। राज्य सरकार चाहे तो 10 दिन में रिपोर्ट के आधार पर विस्तार एक कैबिनेट में पास कर बिलासपुर हाईकोर्ट में जवाब फाइल कर पदोन्नति में आरक्षण बहाल कर सकती है लेकिन बार-बार पत्र व्यवहार मुलाकात के बावजूद मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति-जनजाति वर्गो के हितों के संरक्षण में फैसले लेने में लेटलतीफी कर रहे है। वर्तमान सरकार की आधी से अधिक सीटों पर निर्वाचित जनप्रतिनिधि अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग से हैं। बहुसंख्यक अनुसूचित जाति व जनजाति वर्गों के हितों की अनदेखी करना उनके संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ है। दिल्ली में मुलाकात हेतु प्रतिनिधिमंडल में विनोद कुमार, शैलेश, दिलेश्वर व लोकेश कुमार शामिल रहे।


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