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सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के प्रारूप में जातिवर्ग का कालम जोड़ें सरकार | अजाक्स

रायपुर | [छत्तीसगढ़ बुलेटिन] | Chhattisgarh Government is conducting the work of “Socio Economic Survey” of the residents of the entire state. For which caste column is not there in the released survey format, there is doubt in providing completeness to the social and economic survey of the government. (Ajax)

 

ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन : छत्तीसगढ़ शासन द्वारा पूरे राज्य के निवासियों का ’’सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण का कार्य किया जा रहा है। जिसके लिये जारी किये गये सर्वेक्षण प्रारूप में जातिवर्ग का कालम नहीं होने से शासन के सामाजिक, आर्थिक सर्वेक्षण को पूर्णता प्रदान करने में संदेह है। (Ajax)

 

सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण हेतु जारी किये गये प्रारूप में निम्नलिखित कारणों से संशोधन कर जातिवर्ग का कालम जोड़ा जाना आवश्यक है।

 

  •  1. चूंकि लोगों के सामाजिक विकास की अवधारणा को चरितार्थ करने के लिये यह पता लगाया जाना नितांत जरूरी है कि किस जाति वर्ग के लोगों में विकास का स्तर कहां तह ऊपर उठा है।

 

  •  2. वैकासिक बजट प्रावधान भी अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग तथा सामान्य वर्ग के लोगों की सामाजिक एवं आर्थिक प्रस्थितिकी के आधार पर उनकी जनसंख्या के अनुपात में किया जाता है।

 

  •  3. इस सर्वेक्षण से माननीय उच्चतम न्यायालय एवं माननीय उच्च न्यायालय द्वारा एम नागराज मामले में जारी दिशा निर्देशों की भी प्रतिपूर्ति हो सकेगी जब इसमें इन जाति वर्गो की सामाजिक विकासात्मक स्थिति का पता चल पाये।

 

  •  4. सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण निश्चित रूप से मील का पत्थर शाबित होगा जब इस सर्वेक्षण के आधार पर यह पता चल पाये कि राज्य के वंचित वर्गों के विकास का वर्तमान स्वरूप कैसा है।

 

  •  5. प्रत्येक प्राधिकरण द्वारा सर्वेक्षण से प्राप्त आंकड़ों का उपयोग गरीब या वंचित वर्ग को परिभाषित करने के लिये किया जा सकेगा। जिससे सरकार को यह पुनर्मुल्यांकन करने में आसानी हो सकेगी कि कौन से जाति समूह सबसे खराब स्थिति में हैं और कौन बेहतर है।

 

  •  6. सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण की अवधारणा तभी पूर्ण होगी जब जातिवर्ग के आधार पर असमानताओं का पूर्ण मानचित्रण विकास की दृष्टिकोण से किया जा सकेगा।

 

  •  7. प्रस्तावित प्रारूप ईडब्ल्यू एस वर्ग मात्र का सर्वेक्षण के लिये बनाया गया प्रतीत होता है जिससे सभी वर्गों (अजा, अजजा, अपिव) की सामाजिक प्रस्थितिकी की खोज नहीं हो सकेगी।

 

मालूम हो कि शासन द्वारा जितनी गंभीर कवायद इस सर्वेक्षण के लिये की जा रही है उसी में ही बिना कोई अतिरिक्त परिश्रम और बिना कोई अतिरिक्त व्यय के लोगों के जाति वर्ग का पता भी लगाया जा सकता है।

 

अतः अजाक्स के प्रांताध्यक्ष डा. लक्षमण भारती ने मुख्यमंत्री एवं मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन से मांग की है कि वर्तमान में चल रहे सर्वे प्रारूप में मात्र एक कालम (जाति वर्ग) और जोड़ने का कष्ट करें। जिससे कि शासन की सामाजिक, आर्थिक सर्वेंक्षण की अवधारणा पूर्ण हो सके। वैसे भी आरक्षण का मुद्दा इसी वजह से लंबित है कि किसी भी वर्ग की सही जनसँख्या के आंकड़े स्पष्ट नहीं है। न ही सामाजिक आर्थिक पारिस्थितिकी का पता ठीक से पता नहीं है।

 

पूर्व में मुख्यमंत्री ने सभा साम्मेलनो में इसकी घोषणा भी की थी कि ओबीसी का हो चुका; अब अनुसुचित जाति का हेड काउंट के माध्यम से गणना करेंगे। पर अब सामाजिक सर्वेक्षण चल रहा है तो उसमे से जाति वर्ग का कॉलम कहीं इसलिए तो नहीं हटा दिया कि अजा वर्ग की सही संख्या पता चल जायगी तो उनको जनसँख्या के अनुपात में आरक्षण देना होगा।

 

अजाक्स पुनः मांग करता है कि वर्तमान सर्वेक्षण में जाति वर्ग का कालम जोड़ा जाए।

 

 

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