आदिल शाही वंश के सेनापति अफजल खान के मकबरे के आसपास बने ढांचे के विध्वंस का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, छत्रपति शिवाजी महाराज ने सुलाया था मौत की नींद, कल होगी सुनवाई | ऑनलाइन बुलेटिन
नई दिल्ली | [कोर्ट बुलेटिन] | सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र में आदिल शाही वंश के सेनापति अफजल खान के मकबरे के आसपास स्थित ढांचों को गिराने की मौजूदा प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा। अफज़ल खान को महाराष्ट्र के सतारा जिले में प्रतापगढ़ किले के पास छत्रपति शिवाजी महाराज ने मौत की नींद सुला दिया था। उसकी याद में वहां एक मकबरा बनाया गया था।
चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमा कोहली और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने इस दलील पर ध्यान दिया कि अफजल खान की कब्र, जिसे 1659 के आसपास दफनाया गया था, उसके आसपास स्थिति ढांचों को इस आधार पर ध्वस्त किया जा रहा कि उसका निर्माण अवैध रूप से वन की विभाग की जमीन पर किया गया है। याचिका को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1959 में उस जगह पर मकबरा कैसे बना सकते हैं।
भारी पुलिस बल की तैनाती
दूसरी ओर से सतारा जिला प्रशासन ने गुरुवार को मकबरे के आसपास सरकारी जमीन पर बने अनधिकृत ढांचों को ध्वस्त कर दिया। अधिकारियों ने बताया कि भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच गुरुवार तड़के ढांचों को ध्वस्त करने की कवायद शुरू की गई जो कि अभी भी जारी है। अब देखना होगा कि शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर सुनवाई करते हुए क्या निर्देश देता है।
जिला प्रशासन बोला- हाई कोर्ट के आदेश पर हुई कार्रवाई
सतारा के कलेक्टर रुचिश जयवंशी ने बताया, ‘अफज़ल खान मकबरा परिसर के आसपास बने पक्के कमरों जैसे अवैध ढांचों को जिला प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया है।’ उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई हाई कोर्ट के आदेश और राज्य सरकार द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार की गई है।
अनधिकृत ढांचा 15 से 20 गुंठा भूमि (एक गुंठा 1089 वर्ग फुट के बराबर) पर फैला हुआ था। ज़मीन का कुछ हिस्सा वन विभाग का है, जबकि कुछ हिस्सा राजस्व विभाग का है।
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