लहू से ये दुनिया कब तक नहाये…

🔊 Listen to this ©रामकेश एम यादव  परिचय- मुंबई, महाराष्ट्र.   बारूद को मैं बुझाने चला हूँ, चराग़-ए-मोहब्बत जलाने चला हूँ।   दुनिया है फानी, दो पल की साँसें, बिछा दी है लोगों ने लोगों की लाशें। रोती फिजा को हँसाने चला हूँ, चराग़-ए-मोहब्बत जलाने चला हूँ, बारूद को मैं बुझाने चला हूँ।   किसी … Continue reading लहू से ये दुनिया कब तक नहाये…