मैं हूं न | ऑनलाइन बुलेटिन डॉट इन

©डॉ कामिनी वर्मा
परिचय- भदोही, उत्तर प्रदेश
“मैं हूं न” का एहसास, हृदय को पुलकित करता है।
भर देता है अदम्य उत्साह, जीवन को हर्षित करता है।
तन्हा, तन्हा जीवन में, सपने भरता है। सृष्टि में नए आयाम, रचने को प्रेरित करता है।
कभी-कभी वह ले जाता है उम्र के सोलहवें बसंत में, उर्जा का एहसास कराता है।
तभी पके बालों की चांदनी, दायित्व बोध कराती है।
दायित्व बोध की ऊर्जा, अनंत ऊंचाई देती है।
चाशनी उमंग की, जीवन को मधुर बनाती है।
“मैं हूं न” का अहसास हृदय में, आशा की किरण जगाता है।
जीवन की सार्थकता का, बोध कराता है।
कितना सबल है, यह “मैं हूं न”का अहसास।
मिटा देता है थकान जीवन की, भर देता है उर्जा भविष्य की।