काश यह फैसला पहले होता, विदेश से लौटे मेडिकल छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर दी राय | MBBS
नई दिल्ली | [जॉब बुलेटिन] | On the decision in the interest of the medical students who have returned to India from Ukraine, these students say that I wish the decision would have been taken earlier. The Supreme Court on Tuesday allowed Indian medical students who have returned from abroad due to the COVID-19 pandemic and war to clear the MBBS final examination in two attempts.
Online Bulletin Dot In : यूक्रेन से भारत लौटे मेडिकल छात्रों के हित में फैसले पर इन छात्रों का कहना है कि काश, फैसला पहले होता। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कोविड-19 महामारी और युद्ध के कारण विदेश से लौटे भारतीय मेडिकल छात्रों को एमबीबीएस अंतिम परीक्षा दो प्रयास में पास करने की अनुमति दी है। यूक्रेन, चीन और फिलीपींस से लौटे छात्रों को किसी भी मेडिकल कॉलेज में बिना पंजीकरण एनएमसी के दिशा निर्देश के अनुसार एमबीबीएस अंतिम परीक्षा दो प्रयासों में उत्तीर्ण करनी होगी। करीब 15 माह पहले यूक्रेन से लौटे मवाना के कई छात्र डाक्टरी की पढ़ाई ऑनलाइन कर रहे हैं। फैसले का यूक्रेन से लौटे छात्रों ने स्वागत किया है। छात्रों का कहना है कि एमबीबीएस पूरी करने में चार साल ज्यादा लगेंगे।
जल्दी फैसले का मिलता लाभ
10 साल में होगी डिग्री
मेरठ के मोहल्ला तिहाई के रहने वाले एमबीबीएस छात्र एहतेशाम ने कहा, ‘एमबीबीएस की डिग्री पाने के लिए छह साल गवां चुके हैं। अब कोर्ट के फैसले के अनुसार दो बार परीक्षा और दो साल की इटर्नशिप के लिए कुल चार साल और गंवाने पड़ेंगे। ऐसे तो 10 साल में डॉक्टरी डिग्री पूरी होगी।’
मैनें तो तबादला करा लिया
भोडूपुर गांव के रहने वाले एमबीबीएस छात्र अब्दुल अजीम ने कहा कि एक साल पहले डाक्टरी की डिग्री पाने के लिए मैनें यूक्रेन से अपना तबादला उजबेकिस्तान करा लिया है। मैं अब उजबेकिस्तान में रहकर अपनी अधूरी पढ़ाई पूरी कर रहा हूं। फैसला पहले होता तो बेहतर रहता।
कोर्ट के निर्णय से राहत मिली
मेरठ के फलावदा के एमबीबीएस छात्र शंकर बंगाली ने कहा, ‘कोर्ट के निर्णय की जानकारी उन्हें उनके एक साथी ने दी है। कोर्ट के निर्णय से उसे राहत मिली है। अब उन्हें एमबीबीएस डिग्री पाने के लिए यूक्रेन नहीं जाना पड़ेगा। देरी से परेशानी हुई।’
बिजनौर के मोहम्मद जुबैर ने कहा कि करीब एक साल यूक्रेन से लौटे हुए हो गया है। जंग थमी नहीं है। मेरा यूक्रेन में पांचवा साल था। ऑनलाइन क्लासेज वेलेड की जाए । सीट यूक्रेन से भारत में ही ट्रांसर्फर हो जाए तो अच्छा है। देश में एमबीबीएस फाइनल की परीक्षा के निर्णय से हमें कोई राहत नही हैं। जिनका आखिरी साल हो चुका है उन्हें थौड़ा फायदा है।
रशीदपुर गढ़ी निवासी हितेश चौधरी ने बताया कि यूक्रेन में चल रही लड़ाई थमने का इंतजार है। कुछ छात्र तो ऐसे में ही यूक्रेन लौट गए हैं। देश के छात्रों का एमबीबीएस पूरा कराने में सरकार को मदद करनी चाहिए। यूक्रेन में रहकर एमबीबीएस कर रहे छात्रों को भारत में ही एमबीबीएस कराया जाए तो ज्यादा बेहतर होगा। उन्होंने बताया कि फिलहाल ऑनलाइन पढ़ाई चल रही है।
नवेद आलम बताते हैं कि उनका पांचवा साल है। जो निर्णय लिया जा रहा है ठीक लिया जा रहा है। जिनका यूक्रेन में चौथा और पांचवा साल है उनके बारे में भी सरकार सोचे। जंग से किसी का भला नहीं होता। युद्ध को लम्बा समय हो गया है। अब थमना चाहिए। यूक्रेन में एमबीबीएस कर रहे छात्रों को अपने देश में ही एमबीबीएस कराया जाना चाहिए।
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