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एक पल की खुशी | ऑनलाइन बुलेटिन

©इंदु रवि

परिचय– , गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश


 

 

 

एक पल की खुशी फिर अंधेरी रात ।

बड़ा हसीन होता छोटी सी मुलाकात ।

 

उसे सामने देख घंटों बोलते रहें

पर कभी खत्म ना होती बात ।

 

ये दिन कैसे कटा , रातें कैसे कटी !

पता न चला उसके साथ ।

 

मेरे हाथों से उसका हाथ न छूटे ।

कभी हम दोनों का प्यार ना टूटे ।

 

 एतवार किया तुम पर प्रियतम

तेरे प्रोमिस ना हो कभी झूठे ।

 

यह प्रकृति का है अनुपम सौगात

किसी का प्यार किसी से ना रूठे ।

 

इश्क के झांसे में फंसा कर अब

कोई किसी की आबरू न लूटे ।

 

प्यार के बिना संभव कहां खुशियां

बिन प्यार के इंदु सबका दम घुटे ।


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