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सूरत बदलनी चाहिए | ऑनलाइन बुलेटिन

©कुमार अविनाश केसर

परिचय– मुजफ्फरपुर, बिहार


 

 

पीर जैसी हो, मग़र उसको पिघलनी चाहिए,

आह में भी हो असर, ऐसी निकलनी चाहिए।

 

हाथ के मिलने-मिलाने से भला होता है क्या,

दिल से दिल की धड़कनों की रीत मिलनी चाहिए।

 

कौन कहता है असर आवाज़ में होता नहीं,

गूँज से तेरी मग़र कायनात हिलनी चाहिए।

 

है मुझे मंज़ूर तेरा हर सियासी फैसला,

क़ायदे से पर यहाँ इजलास चलनी चाहिए।

 

मैं नहीं कहता लड़ाई ही ज़रूरी है मग़र,

जिस तरह भी हो सरो सूरत बदलनी चाहिए।

 

इंसानियत के नाम पर जलती रहे कोई मशाल,

हो कहीं भी ज्वाल ‘केसर’, ज्वाल जलनी चाहिए।


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