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चाटुकारों की फौज | Newsforum

©हरीश पांडल, बिलासपुर, छत्तीसगढ़


 

 

चाटुकारों की अब

फौज देखिए

एक होकर कर रहे

मौज देखिए,

अकेले रहने पर

तवज्जो

और कीमत नहीं

मिलती थी,

लाख प्रयास करने

के बाद भी

दाल नहीं गलती थी,

सारी मेहनत पर पानी

फिर जाता था,

चाटुकारों ने एक

जुगत जमाई

सक्षम चाटुकारिता

की फौज बनाई

उस पर समाज प्रमुख

की लेप लगाई,

राजनीतिक आकाओं की,

की खूब बड़ाई,

समाज को वोट बैंक

बनाया,

जो कीमत दिया

उनको जनता का

मत दिलाया

इस नीति को बड़े

जोर- शोर से चलाया

सब मिलकर अब

दावत उड़ाए,

इन सबकी अप्रतिम

खोज देखिए

चाटुकारों की अब

फौज देखिए,

भीड़ बढ़ाकर कर

रहे मौज देखिए,

आयोजनों का तांता

लगवाते,

खुद को समाज हितैषी

बतलाते

बड़े- बड़े सामाजिक

मुद्दों पर,

बोलती इनके बंद

हो जाते,

जो महापुरुषों के

अपमान करते

उन्हें ही ये मुख्य

अतिथि बनाते,

खुद को उनके

सिपहसालार बताते

गलबहियां डाले

तस्वीरें खिंचवाते

दलाली करते खुलकर

बड़े बजट उनसे

पास करवाते

स्वाभिमान को दांव

पर लगाते

स्वयं को राग दरबारी

घोषित कराते

राजनीति में अपने

स्थान बनाते

इन सबकी समाज पर

धौंस देखिए

चाटुकारों की अब

फौज देखिए ….


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