मानो सच भगवान तुम, यारों इस रोटी को | ऑनलाइन बुलेटिन
©गुरुदीन वर्मा, आज़ाद
परिचय– गजनपुरा, बारां, राजस्थान
करो नहीं बर्बाद तुम, ऐसे इस रोटी को।
मानो सच भगवान तुम, यारों इस रोटी को।।
करो नहीं बर्बाद तुम———————।।
इतनी मेहनत यह इंसान, करता है किसके लिए।
इतनी दुहायें ईश्वर से हम, करते हैं किसके लिए।।
कोई मजदूरी, नौकरी, कोई करता है व्यापार।
करता है कोई व्याभिचार, रोटी यह पाने के लिए।।
करो नहीं बर्बाद तुम——————-।।
हर किसी की जान बसी है, यारों इस रोटी में।
बहुत ताकत – इज्ज़त है, यारों इस रोटी में।।
दुनिया में होते हैं युद्ध, यारों रोटी के लिए।
टूट जाते हैं रिश्तें भी, यारों इस रोटी में।।
करो नहीं बर्बाद तुम——————-।।
बनता है कोई भिखारी, पाने को यह रोटी।
करता है कोई चोरी- हत्या, पाने को यह रोटी।।
बेच देता है ईमान- धर्म, रोटी के लिए इंसान।
तड़पता है जीने के लिए, पाने को यह रोटी।।
करो नहीं बर्बाद तुम——————-।।