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युगों युगों से सोई अपनी कौम जगाई | ऑनलाइन बुलेटिन

©ममता आंबेडकर

परिचय– गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश


 

 

हमारे जीवन में एक मसीहा ऐसे आए

आकर उन्होंने अलख जगाई थी

 

युगों युगों से सोई अपनी कौम जगाई थी

अत्याचारों से जीना बड़ा दुश्वार था

 

पीठ पर झाड़ू और गली गले में हंडिया

हर जगह तिरष्कार था

 

जीवन भरा था अत्याचारों से

ठोर ठिकाना कहीं नहीं पाए थे

 

एक घुट पानी तक नसीब नहीं होता था

नहीं मंदिर हमने देखे थे

 

अछूत कह कर धितकारे जाते थे

लिखने पढ़ने भी नहीं देते थे

 

वेद पुराण भागवत गीता सुनने की भी मनाई थी

हर तरफ बोलबाला सम्राज्य अहंकार का

 

उंच नीच और भेद भाव का घोर अंधेरा था

हर एक नारी को घृणा से देखा जाता था।

 

दलित पिछड़ों ने भी कभी नजर नहीं मिलाई थी

युगों युगों से बंधे हुए गुलामी की जंजीरों में

 

पशुओं से भी बदतर जिंदगी कभी जीते थे

तोड़ डाली सब जंजीरे बंधी हर कलाई थी

 

अपनी कौम की दशा देखकर मन ग्लानि से भर गया

अपशब्दों से बोला जाना दिल में घर कर गया

 

रूह कांपी गद्दारों की जब बाबासाहेब ने कलम उठाई थी

छुआ छूत अपमानो ने दिल बड़ा ही बे हाल क्या

भूख प्यास और बीमारी का मनुवादियों ने कभी न

ख्याल किया

 

सोया रहता था जग सारा बाबासाहेब को नींद कभी न आई थी

कलम की ताकत के बल पर बाबासाहेब ने लड़ी लड़ाई थी

अपनी कौम के खातिर बाबासाहेब ने मनुस्मृति में आग लगाई थी

 

भीमा बाई के लाल कहलाते 14 अप्रैल 1891 को महू मध्य प्रदेश

महू छावनी में जन्म लिया पिता सूबेदार रामजी का मान बड़ाए थे

 

समस्त देश वासियों को  आंबेडकर जयंती की हार्दिक बधाई एवं मंगल कामनाएं ….


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